अक्षय तृतीया का महत्व, द्रोपदी को चीरहरण से बचाया था आज ही के दिन कृष्ण ने
अक्षय तृतीया का महत्व, द्रोपदी को चीरहरण से बचाया था आज ही के दिन कृष्ण ने
अक्षय तृतीया का आज खास महत्व है सनातन धर्म में वैशाख शुक्ल तृतीया को अक्षय तृतीया कहते हैं। इस दिन स्नान-दान व व्रत का विशेष महत्व होता है। अक्षय तृतीया इस बार 18 अप्रैल को मनाया जा रहा है तृतीया भोर 4.47 बजे लग गई है जो 19 की भोर 3.03 बजे तक रहेगी। इस बार की अक्षय तृतीया बेहद शुभ संयोग संजोए है। इस दिन सिद्धि योग होने से व्रत-पर्व-दान फलकारी होगा।इस बार अक्षय तृतीया पर 500 साल बाद महासंयोग बन रहा है जो सभी के लिए लाभदायी होगा। आइये जानते हैं अक्षय तृतीया के बारे में कुछ खास बात –
- आज ही के दिन माँ गंगा का अवतरण धरती पर हुआ था ।
- -महर्षी परशुराम का जन्म आज ही के दिन हुआ था ।
- -माँ अन्नपूर्णा का जन्म भी आज ही के दिन हुआ था
- -द्रोपदी को चीरहरण से कृष्ण ने आज ही के दिन बचाया था ।
- – कृष्ण और सुदामा का मिलन आज ही के दिन हुआ था ।
- – कुबेर को आज ही के दिन खजाना मिला था ।
- -सतयुग और त्रेता युग का प्रारम्भ आज ही के दिन हुआ था ।

- -ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण भी आज ही के दिन हुआ था ।
- – प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्री बद्री नारायण जी का कपाट आज ही के दिन खोला जाता है ।
- – बृंदावन के बाँके बिहारी मंदिर में साल में केवल आज ही के दिन श्री विग्रह चरण के दर्शन होते है अन्यथा साल भर वो बस्त्र से ढके रहते है ।
- – इसी दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था ।
- – अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त है कोई भी शुभ कार्य का प्रारम्भ किया जा सकता

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