नदी तल के समुचित अध्ययन के बिना रेत खनन को मंजूरी पारिस्थितिकी के लिए हानिकारक: न्यायालय

नदी तल के समुचित अध्ययन के बिना रेत खनन को मंजूरी पारिस्थितिकी के लिए हानिकारक: न्यायालय

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  • Publish Date - August 22, 2025 / 10:27 PM IST,
    Updated On - August 22, 2025 / 10:27 PM IST

नयी दिल्ली, 22 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि नदी तल की मौजूदा स्थिति का समुचित अध्ययन किए बिना रेत खनन के लिए पर्यावरणीय मंजूरी देना पारिस्थितिकी के लिए हानिकारक होगा।

न्यायालय ने नदी-रेत खनन के लिए टिकाऊ और किफायती तरीकों की खोज के लिए उपयुक्त अध्ययनों की आवश्यकता पर बल दिया।

न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति ए एस चंदुरकर की पीठ ने कहा कि निर्माण कार्य के लिए उपयुक्त रेत की मांग जबरदस्त दर से बढ़ रही है और ऐसा कहा जाता है कि 2050 तक दुनिया में इस संसाधन के समाप्त होने की संभावना है।

पीठ ने कहा, ‘‘भौतिक पर्यावरण में, प्राथमिक प्रभाव नदी तल का चौड़ा और निचला होना है। जैविक पर्यावरण में, व्यापक प्रभाव जैव विविधता में कमी है और यह जलीय और तटरेखा वनस्पतियों तथा जीवों से लेकर पूरे डूब क्षेत्र तक फैला हुआ है।’’

न्यायालय ने कहा कि आसान पहुंच के कारण, निर्माण परियोजनाओं में नदी की रेत और बजरी का बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया है।

रेत खनन से नदी के तल और तट का क्षरण हो सकता है या नदी पारिस्थितिकी तंत्र पर अन्य नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘इसलिए, खनन के वास्ते टिकाऊ और लागत प्रभावी तरीकों की खोज के लिए पुनःपूर्ति सहित उचित अध्ययन करना आवश्यक है।’’

भाषा सुभाष नेत्रपाल

नेत्रपाल