विवाद के बीच अभिषेक ने भगवा रंग के प्रति तृणमूल कांग्रेस के सम्मान का जिक्र किया

विवाद के बीच अभिषेक ने भगवा रंग के प्रति तृणमूल कांग्रेस के सम्मान का जिक्र किया

विवाद के बीच अभिषेक ने भगवा रंग के प्रति तृणमूल कांग्रेस के सम्मान का जिक्र किया
Modified Date: May 19, 2024 / 10:30 pm IST
Published Date: May 19, 2024 10:30 pm IST

नयाग्राम/केशियारी (पश्चिम बंगाल),19 मई (भाषा) लोकसभा चुनाव में कुछ संतों के भाजपा के पक्ष में काम करने संबंधी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आरोपों से उपजे विवाद के बीच, तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक बनर्जी ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी और राज्य के लोगों ने हमेशा ही ‘भगवा’ रंग का सम्मान किया है जो स्वामी विवेकानंद के बलिदान का प्रतीक है।

अभिषेक ने विवेकानन्द को बंगालियों का आध्यात्मिक प्रतीक बताया, जिन्होंने राज्य और देश को दुनिया भर में गौरवान्वित किया। तृणमूल नेता ने कहा कि योगी आदित्यनाथ की पार्टी (भाजपा) ने भगवा रंग का अपमान किया है, जिसने स्वामीजी और बंगाल के अन्य महान संतों और विभूतियों द्वारा अपनाए गए आदर्शों का उल्लंघन किया है।

उन्होंने घाटल सीट से तृणमूल के उम्मीदवार देव के समर्थन में आयोजित एक रैली में कहा, ‘‘हां, हम भगवा रंग का सम्मान करते हैं, जो हमें स्वामी विवेकानन्द और श्री श्री रामकृष्ण परमहंस की याद दिलाता है। हम भाजपा और भगवा वस्त्र धारण करने वाले इसके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विचारधारा से सहमत नहीं हैं। हम आदित्यनाथ की विभाजनकारी विचारधारा से नफरत करते हैं जिनके शासन में दलितों और अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े हैं।’’

 ⁠

तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव ने 2019 के आम चुनाव के दौरान, समाज सुधारक ईश्वर चंद्र विद्यासागर की प्रतिमा की तोड़फोड़ किये जाने की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा, ‘‘यह घटना कोलकाता में अमित शाह के रोड शो के दौरान हुई थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग विद्यासागर की प्रतिमा को तोड़ते हैं, जो लोग विवेकानन्द को वामपंथी बताते हैं और दावा करते हैं कि उनके विचार अब उपयोगी नहीं रह गए हैं, जो लोग रवीन्द्रनाथ टैगोर के जन्मस्थान से अवगत नहीं हैं, उन्हें बोलने से बचना चाहिए। वे बंगाल विरोधी हैं।’’

अभिषेक ने रेखांकित किया कि समाज सुधारक राजाराम मोहन राय ने अमानवीय सती प्रथा को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे अनगिनत विधवाओं की जान बचाई गई। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि तृणमूल समझती है कि राममोहन राय, विद्यासागर और विवेकानंद जैसे विभूतियों का सम्मान कैसे किया जाए। उन्होंने कहा, ‘‘हमें भाजपा से सीखने की जरूरत नहीं है, जो केवल धार्मिक नफरत के संदेश का प्रचार करती है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री (रेलवे) स्टेशनों के नाम बदल रहे हैं, वह इलाकों के नाम बदल रहे हैं, वह इंडिया नाम बदलकर भारत करना चाहते हैं। आइए इस चुनाव में अपना प्रधानमंत्री बदल दें।’’

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मोदी ने ‘‘मछली खाने वालों’’ के बारे में अपमानजनक टिप्पणियां कीं, जो बंगाली हिंदुओं और कई अन्य हिंदू संप्रदायों और समुदायों द्वारा अपनाए जाने वाले कुछ अनुष्ठानों और धार्मिक रस्मों के बारे में उनकी अज्ञानता को दर्शाता है।

अभिषेक ने यह आरोप भी लगाया कि मोदी सरकार ‘आधार’ को नागरिकों के बैंक खातों से जोड़ने के लिए पैसे ले रही है। उन्होंने कहा कि इस पैसे का इस्तेमाल भाजपा ‘‘मोदी के झूठे विज्ञापन प्रचार अभियान चलाने’’ के लिए कर रही है।

इससे पहले, झारग्राम लोकसभा क्षेत्र के नयाग्राम में एक रैली को संबोधित करते हुए अभिषेक ने भाजपा पर आदिवासी समुदायों के हितों की अनदेखी करते हुए वोट बैंक के रूप में उनका इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।

पश्चिम बंगाल की झारग्राम सीट से तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार के समर्थन में एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने दावा किया कि पिछले पांच वर्षों में केंद्र की भाजपा सरकार ने अपनी ही पार्टी के सांसद को विभिन्न आदिवासी समुदायों के आर्थिक विकास के लिए काम करने से रोका है।

उन्होंने कहा, ‘‘रैली में भाजपा से तृणमूल में शामिल हुए झारग्राम सांसद कुनार हेम्ब्रम ने याद किया कि क्षेत्र के विकास के लिए दिल्ली से निधि हासिल करने की उनकी प्रत्येक कोशिश को कैसे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने बाधित किया गया और उसे नजरअंदाज किया। उन्हें भाजपा में घुटन महसूस हो रही थी और माना कि वह गलत पार्टी में थे।’’

हेम्ब्रम, रैली में बनर्जी की उपस्थिति में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए।

डायमंड हार्बर से सांसद अभिषेक ने भाजपा पर जंगलमहल क्षेत्र में अशांति पैदा करने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘एक साल पहले, हमारे काफिले को झारग्राम में एक भीड़ ने रोक दिया जिसने मेरे साथ यात्रा कर रहे मंत्री बीरबाहा हांसदा की कार पर पथराव किया।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘हालांकि, वे जंगलमहल क्षेत्र में कुर्मी समुदाय के लिए अधिकारों की मांग कर रहे थे, लेकिन उनके नारों, परिधान से यह स्पष्ट था कि वे स्थानीय कुर्मी समुदाय के सदस्यों के वेश में भाजपा कार्यकर्ता थे।’’

भाषा सुभाष नरेश

नरेश


लेखक के बारे में