पर्यावरण अनुकूल खिलौनों पर आधारित आंध्र प्रदेश की झांकी ने बटोरी दर्शकों की प्रशंसा

पर्यावरण अनुकूल खिलौनों पर आधारित आंध्र प्रदेश की झांकी ने बटोरी दर्शकों की प्रशंसा

पर्यावरण अनुकूल खिलौनों पर आधारित आंध्र प्रदेश की झांकी ने बटोरी दर्शकों की प्रशंसा
Modified Date: January 26, 2025 / 12:53 pm IST
Published Date: January 26, 2025 12:53 pm IST

नयी दिल्ली, 26 जनवरी (भाषा) पर्यावरण के अनुकूल खिलौनों पर आधारित आंध्र प्रदेश की झांकी ने रविवार को 76वें गणतंत्र दिवस पर आयोजित परेड के दौरान कर्तव्य पथ पर दर्शकों से जमकर प्रशंसा बटोरी।

‘एटिकोप्पका बोम्मालू’ के नाम से मशहूर उत्तम लकड़ी के बने खिलौने राज्य के एटिकोप्पका गांव में तैयार किए जाते हैं। यह लगातार तीसरा साल है जब 26 जनवरी पर आंध्र प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत गणतंत्र दिवस परेड में दिखाई दी।

जब यह झांकी कर्तव्य पथ पर गुजरी तो वहां उपस्थित लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट से इसका स्वागत किया।

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ये खिलौने बेहद खूबसूरत होते हैं और इन पर प्राकृतिक रंग किया जाता है। एटिकोप्पका के इन खिलौनों को दुनियाभर में खूब पंसद किया जाता है। विशाखापत्तनम जिले में एटिकोप्पका गांव के कारीगर इन खिलौनों को तैयार करते हैं। इन्हें भौगोलिक संकेतक (जीआई) का दर्जा और गैर-हानिकारक का प्रमाणन मिल चुका है। इससे इसकी प्रामाणिकता और पंसद और बढ़ गई है।

ये पर्यावरण के लिहाज से भी सुरक्षित हैं। झांकी में 35 फुट ऊंची भगवान विनायक की मूर्ति थी और साथ ही कारीगरों की 18 सदस्यीय टीम खिलौने तैयार करती दिखाई दी।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि खिलौने अक्सर पौराणिक आकृतियों, जानवरों और आकृतियों और मोहनजोदड़ो और हड़प्पा जैसी प्राचीन सभ्यताओं में पाई जाने वाली मूर्तियों को चित्रित करते हैं।

इसमें कहा गया, ‘‘पर्यावरण के प्रति जागरूक इस प्रक्रिया के चलते सुरक्षित, चमकीले रंग के खिलौने बच्चों के लिए सुरक्षित होते हैं और दुनियाभर में संग्रहकर्ताओं द्वारा इनकी प्रशंसा की जाती है।’’

बयान में कहा गया कि ये खिलौने स्थिरता, कल्पना और कलात्मकता का प्रतिनिधित्व करते हैं।

इसमें कहा गया, ‘‘एटिकोप्पका बोम्मालु परंपरा और नवाचार के साथ ही आने वाली पीढ़ियों के लिए आंध्र प्रदेश के कारीगरों की विरासत को संरक्षित भी करता है।’’

भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र अजय

अजय


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