कोविड केंद्रों में सशस्त्र बल कर रहे हैं पशुचिकित्सा कोर के कर्मियों का भी उपयोग

कोविड केंद्रों में सशस्त्र बल कर रहे हैं पशुचिकित्सा कोर के कर्मियों का भी उपयोग

कोविड केंद्रों में सशस्त्र बल कर रहे हैं पशुचिकित्सा कोर के कर्मियों का भी उपयोग
Modified Date: November 29, 2022 / 08:14 pm IST
Published Date: May 16, 2021 11:43 am IST

नयी दिल्ली, 16 मई (भाषा) कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर से निपटने के लिये सशस्त्र बलों ने चिकित्सा देखभाल सेवा को मजबूती देने के उद्देश्य से रोगी देखभाल केंद्रों में पशु चिकित्सा कोर के चिकित्सकों व अन्य कर्मियों की भी तैनाती की है। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी।

महामारी के मद्देनजर संयुक्त सशस्त्र बलों द्वारा ऑपरेशन ‘को-जीत’ के तहत राष्ट्रीय राजधानी, लखनऊ, अहमदाबाद, वाराणसी और पटना में विशेष रूप से स्थापित किये गए कोविड-19 केंद्रों में कोर के करीब 18 अधिकारी, 120 जूनियर कमीशंड अधिकारी (जेसीओ) और अन्य कर्मी तैनात हैं।

‘को-जीत’ तीनों सशस्त्र सेवाओं के लिये सहकर्मियों के लिये है जो अंतत: कोविड-19 के खिलाफ जीत हासिल करेंगे।

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ऑपरेशन ‘को-जीत’ के तहत सेना, वायुसेना और नौसेना के कर्मी, ऑक्सीजन आपूर्ति श्रृंखला को बहाल करने, कोविड बिस्तर तैयार करने तथा सक्रमण का प्रसार रोकने के लिये नागरिक प्रशासन की मदद करने में जुटे हुए हैं।

रक्षा विभाग ने भी एक कोविड आपदा प्रबंधन समिति बनाई है।

अधिकारियों ने बताया कि पशुचिकित्सा कोर (आरवीसी) के कर्मचारी सुविधा केंद्रों पर तैनात होंगे और अस्थायी (कोविड) अस्पतालों में भर्ती मरीजों के परिजनों को जानकारी उपलब्ध कराएंगे।

अधिकारियों, जेसीओ और अन्य कर्मियों को चिकित्सा कर्मियों की मदद के लिये कोविड-19 देखभाल केंद्रों पर तैनात किया जाएगा और वे मरीज के व्याकुल परिजनों और तीमारदारों को समय पर सूचना उपलब्ध कराएंगे।

मरीजों के परिजन और तीमारदार अपने मरीज की हालत के बारे में जानने के लिये अस्थायी केंद्रों के बाहर जुटे रहते हैं और ऐसे में संक्रमित मरीजों की चिकित्सीय देखभाल में तैनात कर्मियों को बाहर आकर जानकारी देनी पड़ती थी।

अधिकारियों ने कहा कि पशु चिकित्सा कोर के कर्मियों की तैनाती से चिकित्सा कर्मियों पर बोझ कम होगा।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 पशुजन्य बीमारी है और पशुचिकित्सा विज्ञान पूरी तरह से मानव शरीर के औषध विज्ञान व जैव रसायन के समान है।

आरवीसी का इतिहास 200 सालों से भी ज्यादा पुराना है और पशु चिकित्सा सेवा और अन्य चीजों के अलावा वो रोग निदान व जांच तथा उभरती बीमारियों के बारे में शोध का काम भी करते हैं।

आरवीसी लगातार पशुजन्य रोगों की रोकथाम के काम में भी शामिल रहता है।

पशुजन्य रोग या ‘जूनोज’ कीटाणुओं के कारण होते हैं जो जानवरों और इंसानों के बीच फैल सकते हैं। ये विषाणु, जीवाणु, परजीवी और कवक के कारण होते हैं।

भाषा

प्रशांत नरेश

नरेश


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