घर खाली करने के अदालत के आदेश से आहत कलाकार, उदार दृष्टिकोण की अपेक्षा |

घर खाली करने के अदालत के आदेश से आहत कलाकार, उदार दृष्टिकोण की अपेक्षा

घर खाली करने के अदालत के आदेश से आहत कलाकार, उदार दृष्टिकोण की अपेक्षा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:51 PM IST, Published Date : February 26, 2022/9:04 pm IST

नयी दिल्ली, 26 फरवरी (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी में कलाकारों को सरकार द्वारा आवंटित आवासों को दो महीने के भीतर खाली करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश से आहत शीर्ष कलाकारों के एक समूह ने शनिवार को कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि अदालत उनकी वित्तीय स्थितियों और उम्र को देखते हुए ‘उदार दृष्टिकोण अपनाएगी।

सुप्रसिद्ध मोहिनीअट्टम नृत्यांगना भारती शिवाजी ने कहा, ‘‘हम फिल्मी हस्तियों की तरह बहुत पैसा नहीं कमाते हैं…सरकार द्वारा आवंटित आवास हमारे अस्तित्व का मुख्य आधार रहा है और इस बुढ़ापे में हमें इससे वंचित करना दुर्भाग्यपूर्ण है।”

दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को शिवाजी, कुचिपुड़ी नर्तक गुरु वी जयराम राव और ध्रुपद गायक उस्ताद एफ वसीफुद्दीन डागर सहित कई भारतीय शास्त्रीय कलाकारों की उन याचिकाओं को खारिज कर दिया जिनमें उन्होंने अक्टूबर 2020 में केंद्र द्वारा जारी बेदखली नोटिस को चुनौती दी थी।

अदालत ने कहा कि सभी याचिकाकर्ताओं को वैकल्पिक व्यवस्था करने और गरिमा के साथ परिसर से बाहर निकलने में सक्षम बनाने, उन्हें आवास का कब्जा सौंपने के लिए इस आदेश की तारीख से दो महीने की छूट अवधि दी जा रही है।

फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए, शिवाजी ने कहा, ”मुझे हमारी अगली कार्य योजना के बारे में भी पता नहीं है। हमें वकीलों और अन्य कलाकारों से परामर्श करना है। हम बहुत आश्वस्त और आशान्वित थे कि उच्च न्याायलय एक उदार दृष्टिकोण अपनाएगा और हमें कुछ महत्व देगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से, यह बहुत दुख की बात है कि पूरे फैसले का लब्बोलुआब यह रहा है कि हमें (आवास) छोड़ देना चाहिए, लेकिन फिर मुझे लगता है कि हमारी गरिमा भी बहुत महत्वपूर्ण है, और अगर हमें आगे बढ़ना है तो बढ़ना है।’’

पद्म श्री पुरस्कार विजेता शिवाजी अपनी 98 वर्षीय मां के साथ एशियाई खेल गांव में सरकार द्वारा आवंटित आवास में रहती हैं। उनकी मां भी एक कलाकार हैं।

उन्होंने कहा, ”हम फिल्मी हस्तियों की तरह बड़ी कमाई नहीं कर रहे हैं। हमारे पास किसी भी तरह की नियमित आय नहीं है। इसलिए हमने जो कुछ भी हासिल किया है वह पूरी तरह से सरकारी संरक्षण के कारण है, और हम उसके लिए हमेशा उनके आभारी हैं। लेकिन हमें ऐसे समय में इस सुविधा से वंचित किया जा रहा है जब हममें से अधिकांश की उम्र 60 और 70 के दशक में हैं और यह वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है।”

याचिका दायर करने वाले कलाकारों, नर्तकों और संगीतकारों में जतिन दास, मायाधर राउत, रानी सिंघल, गीतांजलि लाल, केआर सुबन्ना, कमल साबरी, देवराज डाकोजी, कमलिनी, पंडित भजन सोपोरी और रीता गांगुली शामिल हैं।

कुचिपुड़ी नर्तक गुरु जयराम राव की पत्नी कुचिपुड़ी नृत्यांगना वनश्री राव ने कहा कि भविष्य निधि, पेंशन या नियमित आय नहीं होने के कारण, यहां तक ​​कि किराए के घर में रहना और काम करना एक ‘बहुत बड़ी समस्या’ है। इन्हें यह आवास 1987 में एशियन खेल गांव में दिया गया था।

याचिकाकर्ताओं में से ज्यादातर ने दावा किया कि वे कलाकारों के कोटे के तहत मिलने वाले अपने आवास के लिए वर्तमान में 16,000 रुपये से 18,000 रुपये प्रति माह का भुगतान करते हैं।

ध्रुपद गायक वसीफुद्दीन डागर ने घरों के आवंटन की अवधि बार-बार बढ़ाए जाने के लिए सरकारों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें आश्चर्य है कि ये 10-15 घर ही वर्तमान सरकार को इतना परेशान क्यों कर रहे हैं और क्या इसका कोई बड़ा एजेंडा है।

भाषा सुरेश पवनेश

पवनेश

 

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