असम परिसीमन : विपक्ष ने जताई आपत्ति, मुख्यमंत्री ने कहा-बदलाव के ‘कुछ अनुरोध’ माने गए

असम परिसीमन : विपक्ष ने जताई आपत्ति, मुख्यमंत्री ने कहा-बदलाव के ‘कुछ अनुरोध’ माने गए

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  • Publish Date - August 11, 2023 / 11:15 PM IST,
    Updated On - August 11, 2023 / 11:15 PM IST

गुवाहाटी, 11 अगस्त (भाषा) असम में विपक्षी दलों ने शुक्रवार को विधानसभा और संसदीय क्षेत्रों के परिसीमन से संबंधित अंतिम रिपोर्ट की आलोचना की और इसे अपना राजनीतिक भविष्य सुरक्षित रखने की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की एक चाल करार दिया।

उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रक्रिया को अंजाम देने वाला भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) राजनीतिक दलों, व्यक्तियों और अन्य संगठनों द्वारा उसके समक्ष जताई गई आपत्तियों को दूर करने में नाकाम रहा।

हालांकि, मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने दावा किया कि अंतिम अधिसूचना में लोगों की मांगों के अनुरूप राज्य सरकार द्वारा रखे गए कुछ सुझावों को स्वीकार कर लिया गया है।

शर्मा ने कहा, ‘हमारे कुछ अनुरोध मान लिए गए हैं और कुछ नहीं।’

निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को असम में विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन पर अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें उनकी कुल संख्या क्रमशः 126 और 14 पर बरकरार रखी गई है। आयोग ने अपने अंतिम आदेश में एक संसदीय और 19 विधानसभा क्षेत्रों के नाम में बदलाव किया है।

निर्वाचन आयोग के एक बयान के अनुसार, 19 विधानसभा और दो लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए, जबकि एक लोकसभा और नौ विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित किए गए हैं।

राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देबब्रत सैकिया ने कहा कि जिस तरह से परिसीमन की कवायद की गई, कांग्रेस उसका विरोध कर रही है।

उन्होंने कहा, ‘इस प्रक्रिया में जनसंख्या का समान वितरण नहीं हुआ है। मामला उच्चतम न्यायालय में भी लंबित है। हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि ईसीआई शीर्ष अदालत के समक्ष क्या दलील देता है।’

कांग्रेस नेता ने अपने नाजिरा निर्वाचन क्षेत्र का उदाहरण देते हुए कहा, “मेरे निर्वाचन क्षेत्र से एक बड़ी मुस्लिम आबादी वाला क्षेत्र छीन लिया गया है। हमारा मानना है कि यह एक राजनीतिक रणनीति है।’

रायजोर दल के कार्यकारी अध्यक्ष भास्को डी सैकिया ने दावा किया कि ईसीआई ने निर्वाचन क्षेत्रों के नामों में बदलाव की केवल कुछ मांगों को स्वीकार किया, लेकिन उठाए गए मुख्य मुद्दों को नजरअंदाज कर दिया गया।

उन्होंने कहा, ‘राजनीतिक दलों और अन्य लोगों ने ईसीआई के समक्ष यह मुद्दा उठाया था कि जिन निर्वाचन क्षेत्रों में आदिवासी मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं, उनकी सीमाओं को बदलने का प्रस्ताव किया गया था। लेकिन अंतिम अधिसूचना में ऐसी मांगों को पूरा नहीं किया गया।”

भाषा जोहेब पारुल

पारुल