हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में 24 अगस्त से अब तक मणिमहेश तीर्थयात्रियों समेत 10 लोगों की मौत

हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में 24 अगस्त से अब तक मणिमहेश तीर्थयात्रियों समेत 10 लोगों की मौत

हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में 24 अगस्त से अब तक मणिमहेश तीर्थयात्रियों समेत 10 लोगों की मौत
Modified Date: August 29, 2025 / 11:09 pm IST
Published Date: August 29, 2025 11:09 pm IST

शिमला, 29 अगस्त (भाषा) हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में भीषण बारिश एवं भूस्खलन के चलते 24 अगस्त से अब तक मणिमहेश तीर्थयात्रियों समेत 10 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि आठ घायल हो गए हैं और चार अन्य अब भी लापता हैं। जिले में इन घटनाओं के चलते भारी नुकसान हुआ है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

मृतकों की पहचान दर्शना देवी, सलोचना, कविता, रेखा देवी, सागर भटनागर और दो बच्चों के रूप में हुई है। बाकी तीन, अमन, रोहित और अनमोल की ऑक्सीजन की कमी के कारण मृत्यु हो गई।

अतिरिक्त जिलाधिकारी (चंबा) अमित मिश्रा ने शुक्रवार को बताया कि पिछले तीन दिनों से सैटेलाइट फ़ोन और पुलिस वायरलेस ही संचार का एकमात्र जरिया थे लेकिन अब भरमौर को छोड़कर ज़्यादातर हिस्सों में मोबाइल नेटवर्क बहाल कर दिया गया है।

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अधिकारियों का कहना है कि भरमौर विधानसभा क्षेत्र ज़िले में सबसे ज़्यादा प्रभावित हुआ है। कई जगहों पर भूस्खलन के कारण यह राज्य के बाकी हिस्सों से कट गया है। राशन और अन्य ज़रूरी सामान चंबा शहर से भरमौर पहुंचाया जा रहा है, जहां ये सामान चार दिन बाद शुक्रवार को पहुंचे।

भरमौर में मणिमहेश के कई श्रद्धालु फंसे हुए हैं। स्थानीय विधायक जनक राज ने आरोप लगाया कि पानी और भोजन की कमी है। उन्होंने फंसे हुए तीर्थयात्रियों को बचाने के लिए सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और हेलीकॉप्टर को तैनात करने की मांग की।

इस बीच, भरमौर और चंबा के बीच टूटे हुए रास्ते पर पैदल चल रहे तीर्थयात्रियों के वीडियो इंटरनेट पर सामने आए हैं, जिनमें लोग भूस्खलन प्रभावित सड़कों से गुजरते हुए दिखाई दे रहे हैं।

भरमौर से चार दिन बाद वापस लौटे चंबा के एक निवासी ने कहा, ‘‘मौसम की चेतावनी के बाद भी न तो कोई प्रशासन था और न ही कोई आपदा प्रबंधन। लोग अपनी गाड़ियां, दोपहिया वाहन छोड़कर पैदल ही चल पड़े। न तो सड़क थी और न ही मोबाइल कनेक्टिविटी। टूटते पहाड़ और नीचे गरजती रावी नदी, पैदल चलना बहुत मुश्किल था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अब भी हज़ारों महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग और युवा गौरीकुंड से बग्गा तक फंसे हुए हैं। उम्मीद है कि उन्हें बचा लिया जाएगा। भरमौर से कलसुई जाने वाली सड़क लगभग तबाह हो चुकी है और हवाई मार्ग से लोगों को निकालना ही एकमात्र उपाय है।’’

भाषा वैभव आशीष

आशीष


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