अत्याचार कानून से ऊपर है पॉक्सो कानून: गुजरात उच्च न्यायालय

अत्याचार कानून से ऊपर है पॉक्सो कानून: गुजरात उच्च न्यायालय

अत्याचार कानून से ऊपर है पॉक्सो कानून: गुजरात उच्च न्यायालय
Modified Date: November 29, 2022 / 07:52 pm IST
Published Date: October 7, 2020 11:48 am IST

अहमदाबाद, सात अक्टूबर (भाषा) गुजरात उच्च न्यायालय ने कहा है कि बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम (पोक्सो), अत्याचार कानून से ऊपर है क्योंकि किसी बच्चे की जाति उसकी सुरक्षा और कल्याण से अधिक महत्वपूर्ण नहीं हो सकती।

अनुसूचित जाति की एक नाबालिग लड़की के कथित बलात्कार के मामले में एक अदालत ने सोमवार को उस समय यह फैसला सुनाया, जब गुजरात सरकार ने आरोपी की उस याचिका पर आपत्ति की जिसे अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) कानून के तहत दायर नहीं किया गया था।

न्यायमूर्ति ए एस सुपेहिया ने नाबालिग के बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की जमानत याचिका के सुनवाई योग्य होने संबंधी आदेश में कहा कि ‘‘किसी बच्चे की जाति उसकी सुरक्षा एवं कल्याण से ऊपर नहीं हो सकती या उसे खतरे में नहीं डाल सकती’’।

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अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘हालांकि दोनों कानूनों को विशेष कानून कहा जा सकता है, लेकिन पॉक्सो कानून की प्रशंसनीय बातें उसके अत्याचार कानून से ऊपर होने की बात दर्शाएंगी।’’

उसने कहा, ‘‘दोनों कानूनों के प्रावधानों के समग्र विश्लेषण से एकमात्र निष्कर्ष निकलता है कि विधानपालिका ने पॉक्सो कानून को अत्याचार कानून से प्रधानता दी है।’’

आरोपी विक्रम मालीवाड़ ने अपने वकील राहिल जैन के जरिए सीआरपीसी की धारा 439 के तहत जमानत याचिका दायर की थी।

उसकी याचिका को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने खारिज कर दिया था, जिसके बाद उसने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

राज्य सरकार ने आरोपी की याचिका के सुनवाई योग्य होने का विरोध करते हुए कहा था कि याचिका को सीआरपीसी की धारा 439 के बजाए अत्याचार कानून की धारा 14 ए(2) के तहत दायर किया जाना चाहिए था।

आरोपी के वकील ने दलील दी कि उपरोक्त धारा पॉक्सो और अत्याचार कानूनों के तहत आरोपों की संलिप्तता वाले इस मामले में लागू नहीं होगी और केवल सीआरपीसी की धारा 439 के तहत जमानत याचिका सुनवाई योग्य होगी।

उन्होंने कहा कि पॉस्को कानून अत्याचार कानून से ऊपर है, इसलिए इसे सीआरपीसी की धारा 439 के तहत दायर किया गया।

अदालत ने इस दलील को स्वीकार करते हुए अपनी रजिस्ट्री को आदेश किया कि ‘‘यदि मामला पॉक्सो कानून और अत्याचार कानून के तहत दर्ज आरोपों से संबंधित है, तो इस मामले में सीआरपीसी की धारा 439 के तहत जमानत याचिका दायर की जाए’’।

भाषा

सिम्मी शाहिद अनूप

अनूप


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