बंगाल: एसआईआर के तहत मतदाता सूची से 58 लाख नाम हटाए गए
बंगाल: एसआईआर के तहत मतदाता सूची से 58 लाख नाम हटाए गए
कोलकाता, 16 दिसंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल में निर्वाचन आयोग के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) मसौदा सूचियों से 58 लाख से अधिक नाम हटा दिए गए हैं। इससे विभिन्न जिलों, सीमावर्ती क्षेत्रों और ‘हाई-प्रोफाइल’ निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाताओं की स्थिति में बदलाव आया है।
पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची में ये कई दशकों में सबसे बड़ा बदलाव है और 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले नयी सियासी हलचल पैदा हो गई है।
यहां मंगलवार को प्रकाशित मतदाता सूची के मसौदे के अनुसार, राज्य में मतदाताओं की संख्या लगभग 7.66 करोड़ थी जो घटकर 7.08 करोड़ के आस-पास रह गई है।
मृत्यु और स्थायी पलायन से लेकर नामों के दोहराव तथा गणना प्रपत्र जमा न करने जैसे विभिन्न कारणों से मतदाताओं के नाम हटा दिए गए हैं।
निर्वाचन आयोग ने इस बात पर जोर दिया कि यह प्रक्रिया अस्थायी है और सुनवाई के अधीन है। इस बदलाव का असर सबसे अधिक उत्तर बंगाल में दिख रहा है, जहां सभी सात जिलों में बड़ी संख्या में नाम हटाए गए हैं।
निर्वाचन आयोग के सूत्रों ने संकेत दिया है कि सिलीगुड़ी से लगभग 31,181 नाम हटाए जा सकते हैं, जबकि कलिम्पोंग में लगभग 17,321 नाम हटाए जा सकते हैं।
निर्वाचन आयोग के सूत्रों के अनुसार, जलपाईगुड़ी सबसे अधिक प्रभावित जिलों में से एक है। डबग्राम-फुलबारी सीट पर लगभग 3.25 लाख मतदाता हैं और यहां से 38,395 नाम हटाए जाने हैं, जिनमें 12 हजार से अधिक मृत घोषित किए गए नाम और लगभग 19 हजार लापता नाम शामिल हैं।
माल सीट से 21,127 मतदाताओं के नाम हटाए जा सकते हैं, जबकि जलपाईगुड़ी सदर, राजगंज, नागराकाटा और धूपगुड़ी में हजारोकं की संख्या में मतदाताओं का नाम हटाए जाने की सूचना है।
इनमें से कई सीट तृणमूल कांग्रेस के पास हैं, जबकि डबग्राम-फुलबाड़ी, मायनागुड़ी और नागराकाटा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कब्जा है।
निर्वाचन आयोग के सूत्रों के अनुसार, अलीपुरद्वार जिले में पांच विधानसभा सीट हैं और वहां 95,267 से अधिक मतदाता कम होने वाले हैं, जिनमें से लगभग आधे मृत घोषित किए गए हैं।
जिला निर्वाचन अधिकारियों ने कहा कि अंतिम संशोधन के दौरान नए मतदाताओं को शामिल करने से हटाए गए नामों की भरपाई आंशिक रूप से हो सकती है।
कूच बिहार में लगभग 1.13 लाख नाम हटाए गए जिनमें से सबसे अधिक नाम दिनहाटा (16,442) से हटाए गए और उसके बाद सीताई (15,999) का स्थान रहा। ये दोनों सीमावर्ती निर्वाचन क्षेत्र हैं।
दिनहाटा का प्रतिनिधित्व करने वाले राज्य मंत्री उदयन गुहा ने कहा कि मतदाताओं की अधिक संख्या का स्वाभाविक अर्थ मृत और स्थानांतरित मतदाताओं की संख्या में वृद्धि है। हालांकि, भाजपा नेता मालती रावा ने कहा कि इस प्रक्रिया से उन ‘फर्जी मतदाताओं’ का पर्दाफाश हो रहा है, जिसका आरोप कई पार्टियां लंबे समय से लगा रही थीं।
दक्षिण दिनाजपुर जिले की गंगारामपुर और तपन सीट सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है और ये दोनों सीट भाजपा के कब्जे में है जबकि टीएमसी के कब्जे वाले कुमारगंज जिले में सबसे कम मतदाताओं को हटाया गया है।
भाषा यासिर संतोष
संतोष

Facebook



