बंगाल: एसआईआर की सुनवाई के दूसरे दिन भी शिविरों में पहुंची भारी भीड़
बंगाल: एसआईआर की सुनवाई के दूसरे दिन भी शिविरों में पहुंची भारी भीड़
कोलकाता, 28 दिसंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत सुनवाई रविवार को दूसरे दिन भी जारी रही, जिसमें राज्य भर के 3,234 केंद्रों के सामने लोगों की लंबी कतारें लगी दिखाई दीं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया।
अधिकारी ने बताया कि जिन लोगों का 2002 की मतदाता सूची से कोई संबंध स्थापित नहीं हो पाया है, उन्हें पहले चरण में सुनवाई के लिए बुलाया जा रहा है। हावड़ा जिले के संकराइल ब्लॉक कार्यालय पहुंची पोलियो पीड़ित 75-वर्षीय सबिता मन्ना एम्बुलेंस में ही अपनी बारी का इंतजार कर रही थीं।
मतदाता के रूप में उनके विवरण में विसंगतियों की खबरों को लेकर उनके चेहरे पर चिंता स्पष्ट रूप से झलक रही थी।
सबिता के भतीजे तापस मन्ना ने कहा, “मेरी चाची, जिनकी कोई संतान नहीं है, 2002 की मतदाता सूची में अपना नाम नहीं ढूंढ पाईं। बचपन में पोलियो होने के कारण वह ठीक से चल नहीं पातीं।”
उन्होंने कहा, ‘‘पहले मतदान कर्मी एवं राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि उनके घर जाकर उनसे मिलते थे और उन्हें केवल मतदान के दिन ही मतदान केंद्र आना पड़ता था, लेकिन इस बार उनका पहुंचना अनिवार्य कर दिया गया था।’’
सबिता ने एम्बुलेंस के अंदर से कहा, ‘‘इस उम्र में दोबारा नागरिकता साबित करनी पड़े तो बहुत दुख होता है।’’
बारासात के काजीपारा इलाके की महिला मतदाता निरूफा खातून 2002 के चुनावों में अपने पिता के मतदान का सबूत न दे पाने के कारण सुनवाई के लिए बुलाए जाने से बेहद परेशान हैं।
अपने पति के साथ पहुंची निरूफा ने कहा, “मैं उत्तर 24 परगना के कमरहटी इलाके में जन्मी एक भारतीय नागरिक हूं। शादी के बाद मैं बारासात के काजीपारा आ गई। हालांकि, मेरे पिता का देहांत हो चुका है और उनका नाम मतदाता सूची में नहीं है, जबकि मेरी मां का देहांत मेरे जन्म के कुछ समय बाद ही हो गया था। मतदाता सूची अधिकारी ने मुझे आश्वासन दिया था कि सुनवाई के बाद सब कुछ सुलझ जाएगा। मैं बहुत चिंतित हूं।”
उनके पति ने कहा, “निरूफा स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, राशन कार्ड और मौजूदा मतदाता पहचान पत्र लेकर आई हैं। हमें उम्मीद है कि मतदाता सूची अधिकारी के वादे के मुताबिक सब कुछ सुलझ जाएगा। आशा है कि पर्यवेक्षक इसे स्वीकार करेंगे।”
निरूफा के पति ने बताया कि उन्होंने अपनी पत्नी से सुनवाई के दौरान इन सभी बातों को ठीक से समझाने के लिए कहा है।
बर्दमान कस्बे की 26-वर्षीय महिला अपनी तीन-वर्षीय बेटी के साथ दिन में बरनीलपुर इलाके के शिविर में सुनवाई में शामिल नहीं हो सकीं।
उनकी बेटी का इलाज फिलहाल मुंबई के टाटा मेमोरियल अस्पताल में जारी है।
महिला के ससुर ने शिविर में मौजूद पत्रकारों को यह जानकारी दी।
उन्होंने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “मैं अपनी पोती के अस्पताल में भर्ती होने का मेडिकल रिकॉर्ड डाक से लेकर आया हूं। उसके सारे दस्तावेज भी साथ हैं। देखते हैं पर्यवेक्षक क्या कहते हैं।”
निर्वाचन आयोग ने 16 दिसंबर को एसआईआर के बाद राज्य की मसौदा मतदाता सूची प्रकाशित की थी, जिसमें मृत्यु, पलायन और जनगणना प्रपत्र जमा न करने सहित विभिन्न कारणों से 58 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम हटा दिए गए थे।
भाषा जितेंद्र सुरेश
सुरेश

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