नई दिल्ली। भीमा कोरेगांव हिंसा व माओवादियों से संबंध में गिरफ्तार आरोपियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई मंगलवार को टल गई। आज हुई सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने आरोपियों के खिलाफ कुछ और सबूत पेश करने के लिए कोर्ट से मोहलत मांगी। इस पर कोर्ट ने अगली तारीख 19 सितंबर तय की है।
केंद्र सरकार की ओर से मामले में कहा गया कि आरोपियों की गिरफ्तारी के खिलाफ दायर पिटिशन को सुप्रीम कोर्ट को महत्व नहीं देना चाहिए। केंद्र ने अदालत में कहा कि आरोपियों को भीमा कोरेगांव हिंसा में शामिल होने के शक में गिरफ्तार किया गया है। वहीं याचिकाकर्ताओं के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मामले की सीबीआई या फिर एनआईए के द्वारा जांच की जाए।
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जबकि केंद्र सरकार के वकील ने आरोपियों के सुप्रीम कोर्ट में अपील करने पर सवाल उठाते हुए कहा कि इनके पास निचली अदालतों और हाई कोर्ट में जाने का ऑप्शन बाकी है। केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि माओवादियों और नक्सलियों का खतरा हर दिन बढ़ता जा रहा है। मामले में आरोपी सभी लोग आसामजिक गतिविधियां बढ़ने के खतरे के लिए जिम्मेदार हैं।
वहीं याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि मामले की जांच एसआईटी या फिर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो। सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार के वकील तुषार मेहता ने कहा कि आरोपी केवल भीमा कोरेगांव के मामले में गिरफ्तार नहीं हुए हैं, आशंका जताई जा रही है कि ये आरोपी देश में शांति भंग करने के प्रयास में भी हैं।
वेब डेस्क, IBC24