बिलकीस मामला: एक और दोषी ने सजा में छूट को रद्द करने के फैसले की समीक्षा के लिये याचिका दायर की

बिलकीस मामला: एक और दोषी ने सजा में छूट को रद्द करने के फैसले की समीक्षा के लिये याचिका दायर की

बिलकीस मामला: एक और दोषी ने सजा में छूट को रद्द करने के फैसले की समीक्षा के लिये याचिका दायर की
Modified Date: March 18, 2024 / 08:47 pm IST
Published Date: March 18, 2024 8:47 pm IST

नयी दिल्ली, 18 मार्च (भाषा) बिलकीस बानो मामले में एक और दोषी ने अपनी सजा में छूट को रद्द करने के आठ जनवरी के फैसले की समीक्षा के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है।

याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि इसे अपराध की प्रकृति और “न्याय के लिए समाज की मांग” के आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती।

रमेश रूपाभाई चांदना द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत ने आदेश पारित करते समय और शीर्ष अदालत की एक अन्य पीठ द्वारा पारित 13 मई, 2022 के फैसले को रद्द कर गलती की।

 ⁠

गुजरात सरकार और 11 दोषियों में से दो ने पहले ही एक याचिका दायर कर शीर्ष अदालत के आठ जनवरी के उस फैसले की समीक्षा की मांग की है, जिसमें उन सभी को सजा में छूट देने के आदेश को रद्द कर दिया गया था और उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए कहा गया था।

फैसले के पुनर्विचार के लिये कारणों को रेखांकित करते हुए याचिका में कहा गया कि शीर्ष अदालत की पीठ ने इस आधार पर गलती की कि “सक्षम प्राधिकारी द्वारा पारित सजा में छूट के आदेश को तथ्यात्मक आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती…”।

घटना के वक्त बिलकीस बानो 21 साल की थीं और पांच माह की गर्भवती थीं। बानो से गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बाद 2002 में भड़के दंगों के दौरान दुष्कर्म किया गया था। दंगों में मारे गए उनके परिवार के सात सदस्यों में उनकी तीन साल की बेटी भी शामिल थी।

भाषा

प्रशांत दिलीप

दिलीप


लेखक के बारे में