भाजपा कृषि कानूनों के जरिए किसानों के अधिकारों को कॉर्पोरेट घरानों को बेच रही: तृणमूल कांग्रेस

भाजपा कृषि कानूनों के जरिए किसानों के अधिकारों को कॉर्पोरेट घरानों को बेच रही: तृणमूल कांग्रेस

भाजपा कृषि कानूनों के जरिए किसानों के अधिकारों को कॉर्पोरेट घरानों को बेच रही: तृणमूल कांग्रेस
Modified Date: November 29, 2022 / 08:44 pm IST
Published Date: December 4, 2020 11:14 am IST

कोलकाता, चार दिसंबर (भाषा) तृणमूल कांग्रेस ने शुक्रवार को ‘क्रूर’ कृषि कानूनों पर अपना क्षोभ प्रकट करते हुएआरोप लगाया कि संबंधित पक्षों से मशविरा किए बिना पारित किए गए इन कानूनों के जरिये भाजपा किसानों के अधिकारों को कॉर्पोरेट घरानों को बेच रही है।

तृणमूल के राज्य सभा सांसद डेरेक ओ ‘ब्रायन’ ने हरियाणा में प्रदर्शन कर रहे किसानों से दोपहर में मुलाकात की।

पार्टी ने एक बयान में बताया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फोन पर किसानों से बातचीत की और प्रदर्शनकारियों के प्रति एकजुटता प्रकट की।

 ⁠

इससे पहले मुख्यमंत्री ने दिन में किसानों के समर्थन में ट्वीट किया था। ट्वीट में कहा” 14 साल पहले चार दिसंबर 2004 को मैने कृषि भूमि के जबरन अधिग्रहण के खिलाफ कोलकाता में अपनी भूख हड़ताल शुरू की थी जो 26 दिनों तक चली थी। केंद्र द्वारा बिना मशविरा लिए पारित किए गए क्रूर कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के प्रति मैं समर्थन व्यक्त करती हूं। ”

तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी 2004 में पश्चिम बंगाल में विपक्ष की नेता थीं। उस वक्त राज्य में वाम मोर्चा की सरकार थी।

बनर्जी ने बृहस्पतिवार को धमकी दी थी कि अगर नए ‘किसान विरोधी’ कानून वापस नहीं लिए जाते हैं तो देशव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा।

बयान में कहा गया, ‘‘ मुख्यमंत्री ने किसानों से बातचीत की। हरियाणा और पंजाब के विभिन्न समूहों से फोन पर बातचीत की गई। किसानों ने अपनी मांगों के बारे में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री से बातचीत की और एकजुटता के लिए उनका शुक्रिया अदा किया। पूर्व में भी किसानों और जमीन से जुड़े आंदोलनों में उनके सहयोग के लिए किसानों ने आभार प्रकट किया।’’

बयान के अनुसार बनर्जी ने कहा कि नए कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर वह किसानों के साथ हैं।

वहीं तृणमूल कांग्रेस की वरिष्ठ सांसद काकोली घोष दस्तीदार ने आरोप लगाया कि नए कृषि कानून ‘असंवैधानिक’ हैं और ये कॉर्पोरेट घरानों की मदद के लिए पारित किये गए हैं।

भाषा स्नेहा पवनेश

पवनेश


लेखक के बारे में