नेहरू की उपलब्धियों को नजरअंदाज करना भाजपा की प्रवृत्ति : फारूक अब्दुल्ला

नेहरू की उपलब्धियों को नजरअंदाज करना भाजपा की प्रवृत्ति : फारूक अब्दुल्ला

नेहरू की उपलब्धियों को नजरअंदाज करना भाजपा की प्रवृत्ति : फारूक अब्दुल्ला
Modified Date: December 6, 2023 / 10:10 pm IST
Published Date: December 6, 2023 10:10 pm IST

नयी दिल्ली, छह दिसंबर (भाषा) नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की आलोचना करते हुए कहा कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की उपलब्धियों को नजरअंदाज करना भाजपा की प्रवृत्ति बन चुकी है।

श्रीनगर से लोकसभा सांसद अब्दुल्ला ने संसद भवन के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘‘ उनका नेहरू के साथ हमेशा मतभेद रहा है और वे कभी उनके काम को स्वीकार नहीं करेंगे। यह राजनीति है।’’

फारूक अब्दुल्ला ने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, जो विधानसभा में कश्मीरी प्रवासी समुदाय के दो सदस्यों और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से विस्थापित व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक सदस्य को नामित करने का प्रावधान करता है, लोकसभा में बुधवार को पारित हो गया।

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नेहरू द्वारा कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाने के बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने कहा कि उस समय स्थिति अलग थी। उन्होंने उल्लेख किया कि सेना को पुंछ और राजौरी में भेजना पड़ा था क्योंकि हमलावरों ने अराजकता पैदा कर दी थी।

उन्होंने कहा कि मुजफ्फराबाद (पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की राजधानी) की ओर बढ़ने के बजाय, सेना को पुंछ और राजौरी की ओर मोड़ने का निर्णय लिया गया और इस फैसले के परिणामस्वरूप, ये क्षेत्र अब भारत के पास हैं।

नेकां नेता ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गई ‘गलती’ पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के आक्रामक होने के बावजूद भारत और पाकिस्तान के साथ समान व्यवहार किया गया।

उन्होंने दावा किया कि उस समय संयुक्त राष्ट्र अमेरिका से प्रभावित हो रहा था, जिसने पाकिस्तान का पक्ष लिया था।

अब्दुल्ला ने गुज्जर और बकरवाल समुदायों के लिए आरक्षण की मांग पर कहा कि उन्होंने 1983 में उनके आरक्षण की वकालत करते हुए एक पत्र लिखा था, लेकिन यह अब भी लंबित है।

अब्दुल्ला ने सवाल किया कि अगर कश्मीर में आतंकवाद वास्तव में समाप्त हो गया है तो लोग अब भी क्यों मारे जा रहे हैं और आतंकवादी घुसपैठ करने में कैसे सक्षम हो रहे हैं।

भाषा रवि कांत प्रशांत

प्रशांत


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