कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में वित्तीय अनियमितताओं की कैग जांच होगी

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में वित्तीय अनियमितताओं की कैग जांच होगी

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में वित्तीय अनियमितताओं की कैग जांच होगी
Modified Date: November 29, 2022 / 08:05 pm IST
Published Date: May 30, 2022 8:58 pm IST

ऋषिकेश (उत्तराखंड), 30 मई (भाषा) कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कालागढ़ व लैंसडाउन वन प्रभाग में वित्तीय अनियमितताओं की कैग (भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक) जांच होनी है।

उत्तराखंड वन विभाग के प्रमुख विनोद कुमार सिंघल ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि दोनों वन प्रभागों में विभिन्न मदों से दिए गए करोड़ों रुपये की धनराशि का हिसाब किताब नहीं मिल रहा था इसलिए उन्होंने स्वयं शासन को पत्र लिखकर इनकी जांच कैग से कराने का अनुरोध किया था।

उन्होंने बताया कि उत्तराखंड सरकार ने अनुरोध को स्वीकार करते हुए कैग को जांच के लिए पत्र भेजा है।

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सिंघल ने बताया कि दोनों वन प्रभागों को प्रतिपूरक वनीकरण निधि (कैंपा) तथा अन्य मदों से करोड़ों रुपए का बजट दिया गया लेकिन उनका उपयोग स्वीकृत कार्य में नहीं किया गया और इसलिए उसका हिसाब—किताब नहीं मिला।

निलंबित वन अधिकारी किसनचन्द ने कैंपा के 1.43 करोड़ रुपये का कथित दुरुपयोग करते हुए स्वीकृत कार्य की बजाय इससे एयरकंडीशनर तथा फ्रिज खरीद लिए जिस पर वन विभाग के तत्कालीन प्रमुख से लेकर तत्कालीन वन्यजीव प्रतिपालक ने भी ध्यान नहीं दिया।

उन्होंने कहा कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कालागढ़ वन प्रभाग के निलंबित तत्कालीन वन प्रभागीय अधिकारी किसनचन्द के कार्यकाल की अभी तक हुई जाँचों में बड़े पैमाने पर धांधलियों का खुलासा हुआ है।

मामले की जांच पहले राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने की थी, उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेकर इसकी जाँच कराई। अन्ततः मामला उच्चतम न्यायालय पहुँचा जहां उसकी केन्द्रीय उच्चाधिकार समिति इसकी जांच कर रही है।

वहीं कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के दोनों वन प्रभागों की गड़बड़ियों के कथित आरोपियों रेंजर बृज बिहारी शर्मा, किसनचन्द व तत्कालीन वन्यजीव प्रतिपालक जे एस सुहाग निलंबित हैं जबकि इनके अलावा कई आला वनाधिकारियों से शासन ने जबाब तलब किए हैं और उन पर भी दण्डात्मक कार्यवाही की तलवार लटक रही है।

इस संबंध में, उत्तराखंड के वन व वन्यजीव विभाग के मंत्री सुबोध उनियाल पहले ही इस मामले में अपनी सरकार का रूख साफ कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी बड़ा या छोटा अधिकारी यह नहीं समझे कि वह गुनाह करेगा और सरकार उसे बख्श देगी।

उन्होंने कहा कि अपराध सिद्ध होने पर कोई भी दोषी दण्डात्मक कार्यवाही से बच नहीं पायेगा।

भाषा सं दीप्ति रंजन अर्पणा

अर्पणा


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