मलप्पुरम (केरल), चार अक्टूबर (भाषा) कालीकट विश्वविद्यालय अध्ययन बोर्ड ने बीए तीसरे सेमेस्टर के मलयालम पाठ्यक्रम में रैपर-गीतकार हीरादास मुरली (जिन्हें वेदान के नाम से जाना जाता है) और गायिका-संगीतकार गौरी लक्ष्मी के गीतों को बरकरार रखने का फैसला किया है।
डॉ. एम.एस. अजित की अध्यक्षता वाले मलयालम अध्ययन बोर्ड ने हाल ही में विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार को एक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें कहा गया कि गीतों को “हटाया नहीं जाना चाहिए” और उन्हें पढ़ाया जाना चाहिए।
इससे पहले, विरोध के बाद विश्वविद्यालय ने मलयालम विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ. एम.एम. बशीर को इन गीतों को शामिल करने की समीक्षा के लिए नियुक्त किया था।
बशीर ने इन गीतों को हटाने की सिफारिश की थी। उनकी रिपोर्ट अध्ययन बोर्ड को भेजी गई, जिसने इसे अस्वीकार कर दिया।
अजित ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि बशीर की रिपोर्ट की ‘कोई कानूनी वैधता नहीं है।’
उन्होंने कहा, ‘हमने सोमवार को रजिस्ट्रार को रिपोर्ट लौटा दी। हमने इन गानों को पाठ्यक्रम में जारी रखने का फैसला किया है।’
उन्होंने कहा कि वेदान के रैप गीत ‘भूमि ज्ञान वाझुन्ना इदम’ (वह धरती जहां मैं रहता हूं) को साहित्यिक योग्यता के आधार पर नहीं आंका जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘इसका महत्व संदेश में है, न कि इसे कविता के रूप में आंकने में।’
बोर्ड ने बशीर की इस टिप्पणी को भी खारिज कर दिया कि गौरी लक्ष्मी के ‘कथकली’ गीत में भक्ति का अभाव है। बोर्ड ने कहा कि चयन भक्ति विषय-वस्तु पर आधारित नहीं था, बल्कि उसमें निहित संदेश पर आधारित था।
दोनों गीत तीसरे सेमेस्टर के मलयालम डिग्री छात्रों के लिए तुलनात्मक साहित्य मॉड्यूल का हिस्सा हैं।
इससे पहले, शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने गानों को हटाने के प्रस्ताव की निंदा की थी।
वेदान के काम को बरकरार रखने के कदम की भी आलोचना हुई है, क्योंकि उनपर इस साल यौन कदाचार के कई मामले दर्ज किये गये थे।
भाषा तान्या दिलीप
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