चुनाव बाद की स्थिति का पूर्वानुमान नहीं लगा सकते : नेकां का मुख्यमंत्री बनने की संभावना पर कर्रा

चुनाव बाद की स्थिति का पूर्वानुमान नहीं लगा सकते : नेकां का मुख्यमंत्री बनने की संभावना पर कर्रा

चुनाव बाद की स्थिति का पूर्वानुमान नहीं लगा सकते : नेकां का मुख्यमंत्री बनने की संभावना पर कर्रा
Modified Date: September 8, 2024 / 04:50 pm IST
Published Date: September 8, 2024 4:50 pm IST

(आसिम कमाल)

नयी दिल्ली, आठ सितंबर (भाषा) कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई के प्रमुख तारिक हमीद कर्रा ने रविवार को कहा कि विधानसभा चुनाव सिर्फ सरकार बनाने या उसमें (सरकार में) नेताओं को समायोजित करने के लिए नहीं है, बल्कि यह “राज्य का दर्जा और विधानसभा की शक्तियों” के साथ-साथ “हमारी खोई हुई गरिमा” को बहाल करने के लिए भी है।

कर्रा ने इस बात पर भी राय व्यक्त करने में सतर्कता बरती कि यदि कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन चुनाव जीतता है, तो मुख्यमंत्री नेकां से होगा या नहीं। उन्होंने कहा, “हम चुनाव के बाद होने वाली चीजों के लिये पूर्वानुमान व्यक्त नहीं कर सकते।”

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‘पीटीआई-भाषा’ के साथ साक्षात्कार में कर्रा ने विश्वास जताया कि कांग्रेस-नेकां गठबंधन 90 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिये जरूरी आंकड़ा पार करते हुए सरकार बनाएगा और महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी से उनकी संभावनाओं पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।

जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख ने यह भी कहा कि गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व वाली ‘डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी’ (डीपीएपी) खत्म है और इसका “कोई भविष्य नहीं है”।

उन्होंने कहा, “मैं यह बात रिकॉर्ड पर कह चुका हूं कि जहां तक डीपीएपी का सवाल है, यह अब बंद हो चुका मामला है। वे जो कुछ भी कर रहे थे, उसका उद्देश्य बांटना था, जिसमें वे विफल रहे। इसलिए मुझे नहीं लगता कि अब उनका कोई भविष्य है।”

यह पूछे जाने पर कि गठबंधन में नेशनल कॉन्फ्रेंस वरिष्ठ सहयोगी है, क्या इससे यह तय है कि मुख्यमंत्री उसी पार्टी से होगा, तो इसपर कर्रा ने कहा, “जहां तक चुनाव का सवाल है, हमारे बीच एक समझौता है। हमारे बीच सीटों का एक समझौता है जिसे हम चुनाव-पूर्व गठबंधन कहते हैं, लेकिन परिणाम खुद ही बता देंगे कि आगे क्या होगा। हम उन चीजों के बारे में पूर्वानुमान नहीं व्यक्त कर सकते, जो चुनाव के बाद होने वाली हैं।”

यह पूछे जाने पर कि क्या वह मुख्यमंत्री पद की दौड़ में हैं, कर्रा ने कहा, “आप अभी यह नहीं कह सकते।”

नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस विधानसभा की 90 सीट के लिए सीट बंटवारे पर सहमत हो गए हैं, जिसके तहत नेशनल कॉन्फ्रेंस 51 और कांग्रेस 32 सीट पर चुनाव लड़ेगी। कुछ सीटों पर उनके बीच दोस्ताना मुकाबला होगा।

केंद्र द्वारा जम्मू-कश्मीर में उपराज्यपाल के अधिकारों को बढ़ाने पर कर्रा ने दावा किया कि भाजपा को यह एहसास हो गया है कि वह सरकार नहीं बना पाएगी और कोई अन्य गठबंधन सरकार बनाएगा तथा इसलिए अगली सरकार को सत्ता सौंपने से पहले उन्होंने सोचा कि शक्तियों में कटौती करना बेहतर होगा।

जम्मू-कश्मीर कांग्रेस प्रमुख ने फोन पर ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘यह राजनीति से प्रेरित प्रयास है।’’

उन्होंने कहा कि राज्य का दर्जा बहाल करना सर्वोच्च चिंता का विषय है, लेकिन जहां तक ​​सरकार की शक्तियों में कटौती का सवाल है, “हमें इसकी समीक्षा करनी होगी और विधानसभा भी इस बारे में निर्णय करेगी।”

चुनावों के मुख्य मुद्दे पर कर्रा ने कहा कि आज के चुनाव (केवल) सरकार बनाने या सरकार में अपने नेताओं को समायोजित करने के बारे में नहीं हैं, इसके अलग-अलग स्वरूप और मानदंड हैं।

उन्होंने कहा, “ये मानदंड हैं राज्य का दर्जा बहाल करना, विधानसभा की शक्तियों की बहाली, हमारी खोई हुई गरिमा की बहाली, हमारी पहचान की बहाली। यह सिर्फ विकास आधारित चुनाव नहीं है, विकास उपराज्यपाल के अधीन, राज्यपाल शासन के दौरान भी होता है। इस बार हमारा चुनाव बिल्कुल अलग तरह का है।”

जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा स्थिति के बारे में बात करते हुए कर्रा ने भाजपा पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वह “बस रट रही है” कि जमीन पर स्थिति सामान्य है, लेकिन सभी ने देखा है कि कश्मीर से जम्मू संभाग तक केवल लक्ष्य बदल गए हैं।

कांग्रेस नेता ने कहा, “यह भारत सरकार और स्थानीय प्रशासन की घोर विफलता है। वे हमेशा अपनी ‘डबल इंजन’ सरकारों का महिमामंडन करते रहे हैं और यह (सुरक्षा स्थिति) उन ‘डबल इंजन’ सरकारों की विफलता का एक नमूना है।”

उन्होंने कहा, “पिछले कुछ महीनों से हर कोई देख रहा है कि जम्मू संभाग में कितना नुकसान हो रहा है, जबकि यह हमेशा से एक शांतिपूर्ण क्षेत्र रहा है, लेकिन अपनी पूर्ण विफलता और अपनी अंधराष्ट्रवाद में वे इसे अपने चुनावी राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।”

कर्रा ने कहा, “इसलिए, मुझे लगता है कि अपनी असफलताओं को स्वीकार करना उनकी नैतिक जिम्मेदारी है।”

उन्होंने भाजपा के घोषणापत्र में किए गए वादों की भी आलोचना की और कहा कि वे पूरे देश में कश्मीर की स्थिति का “बखान” कर रहे हैं और कुछ महीने पहले तक वे इसमें सफल भी रहे थे, लेकिन अब स्थिति बदल गई है।

कर्रा ने कहा, “शब्दों की यह बाजीगरी और वर्षों से चली आ रही अंधराष्ट्रवादिता अब किसी के गले नहीं उतर रही है। वे जो भी वादा करते रहे हैं और जो भी बेचते रहे हैं, मुझे लगता है कि अब उसकी वैधता अवधि समाप्त हो चुकी है।”

यह पूछे जाने पर कि क्या पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) कांग्रेस-नेकां गठबंधन की संभावनाओं को चोट पहुंचा सकती है, कर्रा ने कहा कि उनका गठबंधन संसदीय चुनावों के लिए पिछले गठबंधन का ही विस्तार है।

पीडीपी द्वारा संभावित रूप से ‘खेल बिगाड़ने’ की भूमिका निभाने के बारे में पूछे जाने पर कर्रा ने कहा, “जब बहुकोणीय मुकाबला होता है, तो चीजें मुश्किल हो जाती हैं, लेकिन मैं यह स्वीकार नहीं करूंगा कि वे (पीडीपी) इसमें पूरी तरह बाधा डालेंगे।”

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव तीन चरणों में होंगे, जिसमें पहले चरण के लिए मतदान 18 सितंबर को होगा, दूसरे चरण के लिए 25 सितंबर को और तीसरे चरण के लिए एक अक्टूबर को मतदान होगा। चुनाव के नतीजे आठ अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे।

भाषा प्रशांत दिलीप

दिलीप


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