जातिगत गणना का फैसला सही कदम, यह जल्द शुरू किया जाए: खरगे

जातिगत गणना का फैसला सही कदम, यह जल्द शुरू किया जाए: खरगे

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  • Publish Date - April 30, 2025 / 07:44 PM IST,
    Updated On - April 30, 2025 / 07:44 PM IST

नयी दिल्ली, 30 अप्रैल (भाषा) कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अगली जनगणना में जातिगत गणना कराए जाने के केंद्र सरकार के फैसले को सही कदम करार देते बुधवार को कहा कि जल्द से जल्द बजट का प्रावधान कर, जनगणना और जातिगत गणना का काम पूरी पारदर्शिता के साथ शुरू किया जाए।

खरगे ने यह भी दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बार-बार सामाजिक न्याय की इस नीति को लागू करने से बचते रहे और विपक्ष पर समाज को बांटने का झूठा आरोप लगाते रहे।

सरकार ने बुधवार को फैसला किया कि आगामी जनगणना में जातिगत गणना को ‘‘पारदर्शी’’ तरीके से शामिल किया जाएगा।

राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा लिये गए निर्णयों की घोषणा करते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि जनगणना केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आती है, लेकिन कुछ राज्यों ने सर्वेक्षण के नाम पर जातिगत गणना की है।

खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने लगातार जातिगत गणना की माँग उठाई थी, जिसके सबसे मुखर पक्षधर राहुल गांधी रहे। आज मोदी सरकार ने जनगणना के साथ जातिगत गणना कराने की घोषणा की है। यह सही कदम है जिसकी हम पहले दिन से माँग कर रहे थे।’

उनका कहना है, ‘मैंने कई बार इसे संसद में उठाया और प्रधानमंत्री जी को पत्र भी लिखा। इंडिया गठबंधन के नेताओं ने भी कई बार जातिगत गणना की माँग की है और लोकसभा चुनाव में ये अहम मुद्दा बना।’

उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बार-बार सामाजिक न्याय की इस नीति को लागू करने से बचते रहे और विपक्ष पर समाज को बांटने का झूठा आरोप लगाते रहे।

खरगे ने कहा, ‘जातिगत गणना के अभाव में, सार्थक सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण कार्यक्रमों का क्रियान्वयन अधूरा है, इसीलिए यह सभी वर्गों के लिए जरूरी है।’

उन्होंने कहा कि जनगणना के लिए इस साल के बजट में भी केवल 575 करोड़ रुपये का आवंटन है, इसलिए ये सवाल मुनासिब है कि सरकार इसको कैसे और कब पूरा करेगी।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी ये माँग करती है कि मोदी सरकार जल्द से जल्द, बजट का प्रावधान कर, जनगणना और जातिगत गणना का काम पूरी पारदर्शिता के साथ चालू करे।’

उन्होंने कहा, ‘जातिगत गणना जरूरी है, सहभागी न्याय के बिना सबकी प्रगति अधूरी है।’

भाषा हक

सुरेश

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