केंद्र ने पिछले 11 वर्ष में अल्पसंख्यकों पर 7,641 करोड़ रुपये खर्च किए: कुरियन
केंद्र ने पिछले 11 वर्ष में अल्पसंख्यकों पर 7,641 करोड़ रुपये खर्च किए: कुरियन
नयी दिल्ली, आठ दिसंबर (भाषा) राज्यसभा में सोमवार को अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन ने बताया कि केंद्र ने सिख समुदाय और अन्य अल्पसंख्यकों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए कुल 10,225.83 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जिसमें से पिछले 11 वर्षों में स्व-रोजगार आय सृजन परियोजनाओं के लिए 7,641 करोड़ रूपये के रियायती ऋण शामिल हैं।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास और वित्त निगम (एनएमडीएफसी) सिख समुदाय और अन्य अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए योजनाओं को लागू करता है।
उच्च सदन में कुरियन ने प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘1994 में अपनी शुरुआत से, एनएमडीएफसी ने अपनी विभिन्न योजनाओं के तहत 10,225.83 करोड़ रुपये वितरित किए हैं, जिनमें से 27.35 लाख परिवारों को कवर किया गया है।’
उन्होंने कहा, ‘इसमें से, पिछले 11 वर्षों में 7,641 करोड़ रुपये अल्पसंख्यक समुदायों की भलाई के लिए वितरित किए गए हैं, जिनमें सिख समुदाय भी शामिल हैं।’’
कुरियन ने यह भी कहा कि भारत सरकार सभी लोगों का ध्यान रख रही है और उसने पाकिस्तान से आए लोगों को 1,073 दीर्घकालिक वीजा (एलटीवी) जारी किए हैं। उन्होंने कहा, ‘नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) के तहत, 337 नागरिकता भी दी गई है’।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रीजीजू ने एक अन्य प्रश्न के लिखित जवाब में कहा कि उनके मंत्रालय द्वारा प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (पीएमजीवीके) लागू किया जा रहा है, जिसमें अल्पसंख्यक-बहुल क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल, महिला सशक्तीकरण आदि क्षेत्रों में विशेष कदम उठाया जाता है।
उन्होंने कहा, ‘इस योजना के तहत, 11 लाख से अधिक आधारभूत संरचना परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनमें से लगभग नौ लाख इकाइयां पूरी हो चुकी हैं, जिनकी कुल मंजूर परियोजना लागत 26,237 करोड़ रुपये है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री विरासत का संवर्धन (पीएम विकास) योजना कौशल विकास और युवाओं को प्रशिक्षण देने, महिला नेतृत्व और उद्यमिता के विकास और स्कूल से अधूरी शिक्षा छोड़कर जाने वालों के लिए शिक्षा समर्थन पर केंद्रित है।
मंत्री ने कहा, ‘वर्तमान वर्ष में इस योजना के तहत 42 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनकी कुल लागत 700 करोड़ रुपये से अधिक है तथा जिनसे 1.40 लाख लाभार्थियों को फायदा होगा। इस योजना के तहत, दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (डीएसजीएमसी) को 29,600 उम्मीदवारों को आधुनिक कौशल-आधारित नौकरी के क्षेत्रों में प्रशिक्षण देने और 2,000 उम्मीदवारों को औपचारिक शिक्षा व्यवस्था से पुनः जोड़ने के लिए एक परियोजना आवंटित की गई है…।’
उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, दीर्घकालिक वीजा पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समुदायों के व्यक्तियों को दिया जाता है, जैसे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई। उन्होंने कहा कि यह ऐसे लोगों को दी जाती है जो भारत में वैध यात्रा दस्तावेज जैसे वैध पासपोर्ट और वैध वीजा के साथ आए हैं और भारत में बसने के लिए नागरिकता प्राप्त करने की खातिर आवेदन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार ने भारत में एलटीवी पर रह रहे इन व्यक्तियों को विभिन्न सुविधाएँ दी हैं। इनमें 5 वर्षों के लिए एलटीवी की मंजूरी, बच्चों की शिक्षा के लिए स्कूलों और कॉलेजों में प्रवेश, निजी क्षेत्र में रोजगार, आवासीय इकाइयाँ खरीदने और बैंक खाता खोलने की अनुमति शामिल हैं।
मंत्री ने कहा, ‘पिछले पांच वर्षों में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए सिख समुदाय के 1,073 व्यक्तियों को दीर्घकालिक वीजा जारी किए गए हैं।’ उन्होंने कहा कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के तहत सिख समुदाय के कुल 337 व्यक्तियों को नागरिकता दी गई है।
रीजीजू ने कहा कि दिल्ली में 296, हरियाणा में 14, मध्य प्रदेश में 6, पंजाब में 13 और उत्तराखंड में 8 सिखों को दीर्घकालिक वीजा जारी किए गए हैं।
भाषा माधव अविनाश
अविनाश

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