बांग्लादेश भेजी गयी गर्भवती महिला को भारत आने की अनुमति देने पर विचार करे केंद्र: न्यायालय
बांग्लादेश भेजी गयी गर्भवती महिला को भारत आने की अनुमति देने पर विचार करे केंद्र: न्यायालय
नयी दिल्ली, एक दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र से कहा कि वह इस वर्ष की शुरुआत में बांग्लादेश वापस भेजी गयी गर्भवती महिला और उसके बच्चे को “मानवीय आधार” पर भारत में प्रवेश की अनुमति देने पर विचार करे, भले ही उसे ‘निगरानी’ में रखा जाए।
प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह गर्भावस्था के अंतिम चरण में पहुंच चुकी महिला को पश्चिम बंगाल के मालदा में भारत-बांग्लादेश सीमा के जरिए भारत में प्रवेश की अनुमति देने के संबंध में निर्देश मांगें।
मेहता ने अदालत से कुछ समय मांगते हुए कहा, “इस मुद्दे पर निर्देश प्राप्त करने के लिए हमें दो दिन का समय दीजिए। हम समझते हैं कि अदालत हमसे मानवीय आधार पर मामले पर विचार करने के लिए कह रही है। हम इस पर गौर करेंगे।”
महिला सोनाली खातून के पिता भोदू शेख की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सजय हेगड़े ने कहा कि वे भारत में प्रवेश करने के लिए सीमा पर बांग्लादेश के वाले हिस्से में इंतजार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि उनका बांग्लादेश निर्वासन अवैध माना गया है और वे भारतीय नागरिक हैं।
पीठ ने कहा कि केंद्र गर्भवती महिला और उसके बच्चे को भारत में प्रवेश की अनुमति देने तथा किसी और जटिलता से बचने के लिए उसे अस्पताल में निगरानी में रखने पर विचार कर सकता है।
हेगड़े ने कहा कि यदि केंद्र गर्भवती महिला को अनुमति देता है, तो उसके पति को भी भारत में प्रवेश की अनुमति दी जानी चाहिए, क्योंकि उसे वहां नहीं छोड़ा जा सकता।
शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई तीन दिसंबर के लिए स्थगित कर दी और मेहता से इस मुद्दे पर निर्देश लेने को कहा।
पीठ केंद्र की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें कलकत्ता उच्च न्यायालय के 26 सितंबर के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें न्यायालय ने सोनाली खातून और अन्य को बांग्लादेश भेजने के केंद्र सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था और इसे “अवैध” करार दिया था।
भाषा
प्रशांत धीरज
धीरज

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