Chandrayaan 3 Landing Time : चंद्रयान 3 की लैंडिंग के साथ स्पेस में बजेगा भारत का डंका, मिलेंगे ये फायदें

Chandrayaan 3 Landing Time : भारत चांद की सतह को छूने से बस कुछ ही दूर है। 23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 चांद के सीने

Chandrayaan 3 Landing Time : चंद्रयान 3 की लैंडिंग के साथ स्पेस में बजेगा भारत का डंका, मिलेंगे ये फायदें

Chandrayaan 3 Landing Time

Modified Date: August 21, 2023 / 07:51 pm IST
Published Date: August 21, 2023 6:21 pm IST

नई दिल्ली : Chandrayaan 3 Landing Time : भारत चांद की सतह को छूने से बस कुछ ही दूर है। 23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 चांद के सीने पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश करेगा। यह चांद पर उतरने की भारत की लगातार दूसरी कोशिश होगी। इससे संभावित रूप से भारत को काफी आर्थिक फायदा मिलने का रास्ता साफ हो सकता है।

चंद्रयान-3 इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) का तीसरा मून मिशन है और अगर यह कामयाब होता है तो भारत, अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ (अब रूस) और चीन के बाद चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश होगा।

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भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा असर?

Chandrayaan 3 Landing Time :  चंद्रयान-3 की लैंडिंग के बाद चंद्रमा पर एक रोवर तैनात करने और चंद्रमा के साउथ पोल की स्टडी करने की योजना है। एक्सपर्ट के मुताबिक, चंद्रयान-3 की सफलता का भारत की अर्थव्यवस्था पर काफी असर पड़ सकता है।

दुनिया ने पहले ही स्पेस से जुड़ी कोशिशों के रोजमर्रा की जिंदगी में मिले फायदे देखे हैं जैसे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर वाटर रीसाइकल के साथ साफ पानी तक पहुंच, स्टारलिंक की तरफ से दुनियाभर में इंटरनेट का प्रसार, सोलर एनर्जी मैन्युफैक्चरिंग में इजाफा और हेल्थ टेक्नोलॉजी आदि।

सैटेलाइट से मिलने वाली तस्वीरों और नैविगेशन के ग्लोबल आंकड़ों की बढ़ती मांग के साथ कई रिपोर्टें दिखाती हैं कि दुनिया पहले ही स्पेस इकोनॉमी की तेजी से बढ़ोतरी के चरण में है।

‘स्पेस फाउंडेशन’ ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा है कि ग्लोबल स्पेस इकोनॉमी 2023 की दूसरी तिमाही में 546 अरब डॉलर के मूल्य पर पहुंच चुकी है। यह आंकड़ा पिछले दशक में इस मूल्य में 91 प्रतिशत की बढ़ोतरी को दिखाता है।

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दुनिया में बजेगा भारत का डंका

Chandrayaan 3 Landing Time :  भारत की स्पेस इकोनॉमी 2025 तक 13 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। चंद्रमा पर सफल लैंडिंग भारत की तकनीकी क्षमता को भी बयां करेगी।

अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने 50 साल पहले अपोलो अभियान के दौरान इंसानों को सफलतापूर्वक चांद पर पहुंचाया था लेकिन ऐसा लगता है कि कई लोग वहां पहुंचने के लिए उठाए कदमों और भारी मात्रा में लगाए धन को भूल गए हैं।

भारत की चंद्रयान-1 के साथ चंद्रमा पर पहुंचने की पहली कोशिश अपने लगभग सभी मकसद और वैज्ञानिक लक्ष्यों में कामयाब थी जिसमें पहली बार चांद की सतह पर पानी के सबूत मिले थे।

लेकिन इसरो का, दो साल के लिए निर्धारित इस मिशन के 312 दिन पूरे होने के बाद ही स्पेसक्राफ्ट से संपर्क टूट गया था।

भारत ने छह सितंबर 2019 को चंद्रयान-2 मिशन के तहत प्रज्ञान रोवर लेकर जा रहे विक्रम लैंडर के साथ चांद की सतह पर पहुंचने का फिर से प्रयास किया।

हालांकि, चंद्रमा की सतह से 2.1 किलोमीटर दूर लैंडर से संपर्क टूट गया और नासा की तरफ से ली गई तस्वीरों ने बाद में पुष्टि की कि यह चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

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चंद्रयान-2 से लिया सबक

Chandrayaan 3 Landing Time :  चंद्रयान-2 से सबक लेकर चंद्रयान-3 में कई सुधार किए गए हैं। टारगेटेड लैंडिंग एरिया को 4.2 किलोमीटर लंबाई और 2.5 किलोमीटर चौड़ाई तक बढ़ा दिया गया है।

चंद्रयान-3 में लेजर डॉपलर वेलोसिमीटर के साथ चार इंजन भी हैं जिसका मतलब है कि वह चंद्रमा पर उतरने के सभी चरणों में अपनी ऊंचाई और ओरिएंटेशन को कंट्रोल कर सकता है।

अगर चंद्रयान-3 कामयाब होता है तो यह दिखाएगा कि कैसे स्पेस ज्यादा आसान होता जा रहा है और यह मुश्किल मिशन को हासिल करने में भारत की निरंतर दृढ़ता को दर्शाएगा।

हर सफल मिशन के साथ इंसानों का चंद्रमा की सतह और उसके पर्यावरण के बारे में ज्ञान बढ़ता जा रहा है जिसका मतलब है कि चंद्रमा तक जाने और वहां ठहरने के जोखिम कम हो रहे हैं।

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