‘डार्कनेट’ के जरिये मादक पदार्थ तस्करी में शामिल गिरोह के सदस्यों के खिलाफ आरोपपत्र दायर
‘डार्कनेट’ के जरिये मादक पदार्थ तस्करी में शामिल गिरोह के सदस्यों के खिलाफ आरोपपत्र दायर
कोच्चि, 29 दिसंबर (भाषा) स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) ने कोच्चि की एक अदालत में ऐसे मामले में आरोप पत्र दाखिल किया है, जिसमें ‘केटामेलॉन’ गिरोह के सदस्यों पर ‘डार्कनेट’ के माध्यम से मादक पदार्थ मंगवाने का आरोप है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
‘डार्कनेट’ से आशय इंटरनेट के उस हिस्से से है जिस तक सामान्य ब्राउजर और ‘सर्च इंजन’ (जैसे गुगल, क्रोम आदि) के जरिये नहीं पहुंचा जा सकता। इसे इस्तेमाल करने के लिए विशेष सॉफ्टवेयर/नेटवर्क की जरूरत पड़ती है।
स्वापक नियंत्रण ब्यूरो के एक अधिकारी ने बताया कि 23 दिसंबर को एर्नाकुलम में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया गया था।
अधिकारियों के अनुसार, आरोपपत्र में मुवत्तुपुझा के मूल निवासी एडिसन बाबू, अरुण थॉमस, उत्तरी परवूर के संदीप सजीव, जो वर्तमान में ब्रिटेन में रहते हैं, और हरिकृष्णन अजी नवास, जो ऑस्ट्रेलिया में रहते हैं, के नाम हैं।
इस साल जून में, संघीय एजेंसी ने ‘मेलॉन’ नामक एक ऑपरेशन के दौरान 1,127 संदिग्ध एलएसडी (लाइसर्जिक एसिड डाइएथिलअमाइड) ब्लॉट, 131.66 ग्राम केटामाइन और 90 लाख रुपये मूल्य की क्रिप्टोकरेंसी संपत्ति जब्त की।
एनसीबी अधिकारियों ने बताया कि आरोपी ‘केटामेलॉन’ नामक एक डार्कनेट गिरोह चला रहे थे, जिसके पूरे भारत में संपर्क थे। एजेंसी के अनुसार, मुख्य आरोपी बाबू कथित तौर पर डार्कनेट के माध्यम से मादक पदार्थ मंगाता था, जिसे सजीव द्वारा ब्रिटेन से भेजा जाता था।
अधिकारियों ने बताया कि नवाज ने बाबू द्वारा मुहैया कराए गए मादक पदार्थ के लिए प्राप्त भुगतानों से संबंधित क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन को संभाला था।
एक अधिकारी ने बताया कि एनसीबी ने विदेश में मौजूद दोनों आरोपियों का पता लगाने के लिए इंटरपोल से संपर्क किया है।
अधिकारियों ने बताया कि अब तक एडिसन बाबू से संबंधित तीन करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त की जा चुकी है, जिसमें मुवत्तुपुझा में लगभग 85 लाख रुपये मूल्य का एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, लगभग 1.5 करोड़ रुपये की क्रिप्टोकरेंसी और इडुक्की में एक अन्य संपत्ति शामिल है।
एनसीबी की जांच में पता चला कि बाबू द्वारा डार्कनेट के माध्यम से मंगाए गए मादक पदार्थ विदेशों से पार्सल के रूप में आते थे, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय डाकघरों में सीमा शुल्क अधिकारियों की पकड़ से बचने के लिए सावधानीपूर्वक छिपाया जाता था।
अधिकारियों ने बताया कि बाद में इन मादक पदार्थों को भारत के विभिन्न हिस्सों में वितरित किया गया और विदेशों में भी भेजा गया।
एनसीबी के अनुसार, नशीले पदार्थों की खेप ब्रिटेन स्थित विक्रेता गुंगाडीन से मंगाई गई थी, जो डॉ. स्यूस (जिन्हें ट्राइब स्यूस के नाम से भी जाना जाता है) के सहयोगी हैं और माना जाता है कि वे दुनिया के सबसे बड़े एलएसडी आपूर्तिकर्ताओं में से एक हैं।
भाषा तान्या संतोष
संतोष

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