’13 दिन से मेरे पिता की लाश को दफनाने नहीं दे रहे गांव वाले’.. ईसाई शख्स की गुहार सुन SC ने लगाई सरकार को फटकार, हाईकोर्ट के फैसले पर भी जताई हैरानी

ईसाई व्यक्ति अपने पिता को दफनाने में असमर्थ: न्यायालय ने छत्तीसगढ़ सरकार को नोटिस जारी किया

’13 दिन से मेरे पिता की लाश को दफनाने नहीं दे रहे गांव वाले’.. ईसाई शख्स की गुहार सुन SC ने लगाई सरकार को फटकार, हाईकोर्ट के फैसले पर भी जताई हैरानी

498 A New Guidelines of Supreme Court: अब दहेज प्रताड़ना कानून का दुरुपयोग नहीं कर पाएंगी महिलाएं / Image Source: File

Modified Date: January 20, 2025 / 03:09 pm IST
Published Date: January 20, 2025 2:20 pm IST

नई दिल्ली: Supreme Court ke Faisle  उच्चतम न्यायालय ने एक ईसाई व्यक्ति द्वारा दायर उस याचिका पर छत्तीसगढ़ सरकार को फटकार लगाते हुए नोटिस जारी किया जिसमें उसने आरोप लगाया है कि वह छिंदवाड़ा गांव में अपने पादरी पिता को दफनाने में असमर्थ है, क्योंकि लोगों ने इसका कड़ा विरोध किया है तथा पुलिस ने उसे कानूनी कार्रवाई की धमकी दी है।

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Supreme Court ke Faisle  न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि 7 जनवरी को व्यक्ति की मौत के बाद से शव जगदलपुर के जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के शवगृह में पड़ा हुआ है और पुलिस ने तब से कोई कार्रवाई नहीं की है। न्यायालय ने याचिका पर छत्तीसगढ़ सरकार से जवाब तलब करते हुए उसे फटकार लगाई। छत्तीसगढ़ सरकार को नोटिस जारी करते हुए पीठ ने कहा, “ग्राम पंचायत को छोड़िए, यहां तक ​​कि उच्च न्यायालय ने भी अजीब आदेश पारित किया है। राज्य सरकार क्या कर रही है?” इस मामले पर सुनवाई 20 जनवरी को होगी।

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उच्चतम न्यायालय माहरा जाति के रमेश बघेल द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उन्होंने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनके पिता को गांव के कब्रिस्तान में ईसाई व्यक्तियों के लिए निर्दिष्ट क्षेत्र में दफनाने का निर्देश देने के अनुरोध वाली उनकी याचिका को निस्तारित कर दिया गया था। ग्राम पंचायत के सरपंच द्वारा जारी प्रमाण पत्र के आधार पर कि ईसाइयों के लिए अलग से कोई कब्रिस्तान नहीं है, उच्च न्यायालय ने उन्हें यह कहते हुए अनुमति देने से इनकार कर दिया कि इससे आम जनता में अशांति और असामंजस्य पैदा हो सकता है। पादरी की लंबी बीमारी के कारण मृत्यु हो गई। बघेल के अनुसार, छिंदवाड़ा गांव में शवों को दफनाने और दाह संस्कार के लिए ग्राम पंचायत द्वारा मौखिक रूप से कब्रिस्तान आवंटित किया गया है। इस गांव के कब्रिस्तान में आदिवासियों के दफनाने, हिंदू धर्म के लोगों के दफनाने या दाह संस्कार तथा ईसाई समुदाय के लोगों के लिए अलग-अलग क्षेत्र निर्धारित किए गए हैं। ईसाइयों के लिए निर्दिष्ट क्षेत्र में, याचिकाकर्ता की चाची और दादा को इस गांव के कब्रिस्तान में दफनाया गया है।


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सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।