नेतागिरी का ऐसा कीड़ा.. बाइक बेचकर आया राजनीति में, अब है बड़े मुकाम पर
CM Ashok Gehlot political career : मोदी शाह की जोड़ी को राजस्थान में चारो खाने चित्त करने में गहलोत की भूमिका काफी अहम रही हैं
राजस्थान। CM Ashok Gehlot political : अक्सर अपने बयान बाजी और सियासी फैसले को लेकर चर्चा में रहने वाले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आज अपना 71वां जन्मदिन मना रहे हैं। कांग्रेस के लोकल कार्यकर्ता के रुप में अपने राजनैतिक कैरियर की शुरुआत करने वाले गहलोत वर्तमान समय मे कांग्रेस के सबसे खाटी नेता के रुप में पहचाने जाते हैं। सचिन पायलट को मनाने और मोदी शाह की जोड़ी को राजस्थान में चारो खाने चित्त करने में गहलोत की भूमिका काफी अहम रही हैं।
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कॉलेज की पढ़ाई करते राजनीति मे मारी धांसू एंट्री
CM Ashok Gehlot political : राजनीति में बड़े बड़े दिग्गजों को मात देने वाले अशोक गहलोत शुरुआत से ही काफी तेज तर्रार छात्र थे। विज्ञान और कानून में स्नातक डिग्री प्राप्त करने के दौरान उन्होंने कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई मे एंट्री ले ली। अपने जानदार भाषण और तीक्ष्ण बुद्धि के दम पर वे अपने समकालीन युवा नेेताओं ने काफी अलग थे। उम्र बढ़ने के साथ साथ अशोक की राजनीतिक सूझ बूझ बढ़ती चली गई। साल 1973 से 1979 के बीच अशोक गहलोत राजस्थान NSUI के अध्यक्ष भी रहे, इसके बाद 1979 से 1982 के बीच जोधपुर शहर जिला कांग्रेस कमेटी की कमान संभाली. वहीं 1982 में अशोक गहलोत कांग्रेस के प्रदेश महासचिव बने। गहलोत का सियासी सितारा जल्द ही चमक उठा और वह बहुत छोटी उम्र में ही राजनीति के शिखर तक पहुंच गए।
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बाइक बेचकर की नेतागिरी
CM Ashok Gehlot political career : अशोक गहलोत उन चंद नेताओं मे शुमार है जिन्होंने अपनी हर चाल काफी सूझ बूझ से चली। मौका देखकर चौका मारने में अशोक गहलोत माहिर थे। उस समय कांग्रेस लोकसभा चुनाव बुरी तरह से हार चुकी थी। जनता पार्टी के राज में विधानसभा चुनाव लड़ने को कांग्रेसी खोजे नहीं मिल रहे थे। तब अशोक ने मौके को भांपा और जोधपुर की सरदारपुरा सीट से लड़ने के लिए संजय गांधी से टिकट ले आए। 26 की उम्र मे अशोक ने अपनी बाइक बेचकर चुनावी रण में एंट्री मारी। उनके सामने उस दौर के जाने माने नेता माधो सिंह थे। जिनसे वे 4,329 के अंतर से चुनाव हार गए । अशोक गहलोत को बोहनी भले खराब रही हो लेकिन उस दौरान उसके मायने बहुत थे।
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सीधे संजय गांधी से टिकट लेकर आए
सियासत में इस चीज का बहुत महत्व है कि आप कितने गतिशील रहते हैं. कोई पैदल, कोई बाइक पर तो कोई कार या जहाज पर. लेकिन सियासत शुरू करने के लिए किसी को अपनी गति, अपना वाहन कुर्बान करना पडे तो. गहलोत के साथ भी ऐसा हुआ. अशोक गहलोत सीधे संजय गांधी से टिकट लेकर आए और जोधपुर से चुनाव लड़ा. बाद में वो राजीव गांधी के भी करीबी रहे.
तीसरी बार बने राजस्थान के मुख्यमंत्री
CM Ashok Gehlot political career : अशोक गेहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री हैं। वे कांग्रेस के सक्रिय नेताओं में से एक हैं। बतौर मुख्यमंत्री गहलोत की यह तीसरी पारी है। इससे पहले वे 1998 से 2003 तक और फिर 2008 से 2013 तक राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। गहलोत सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। मनमोहन सरकार के दौरान गहलोत केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। छात्र जीवन से ही वे महात्मा गांधी से बेहद प्रेरित रहे और इसीलिये तमाम सामाजिक गतिविधियों में हिस्सा लेते रहे। उन्होंने विज्ञान और कानून में स्नातक पास किया है और अर्थशास्त्र से परास्नातक किया है। स्नातक की पढ़ाई के दौरान से ही वे कांग्रेस पार्टी की छात्र इकाई एनएसयूआई से जुड़ गये। इंदिरा गांधी सरकार के दौरान गहलोत तीन बार केंद्रीय मंत्री भी रहे.
कई योजनाओं से जनता को पहुंचाया लाभ
CM Ashok Gehlot political career : हाल के दिनो में कांग्रेस जहां नेतृत्व हीनता से जूझ रही है तो वहीं राजस्थान में अशोक गहलोत अपने सूझ बूझ से एक नया आयाम गढ़ रहे हैं। राज्य की जनता के लिए मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना, किसानो के लिए ऋण माफ और बिजली दरों में जीरो बढ़ोतरी और कोरोना काल में बेहतरीन प्रबंधन कर सीएम गहलोत ने अपने आप को साबित किया।

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