जनगणना कार्यक्रम पर टिप्पणी : भाजपा ने विपक्षी दलों पर ‘झूठ की राजनीति’ करने का आरोप लगाया

जनगणना कार्यक्रम पर टिप्पणी : भाजपा ने विपक्षी दलों पर ‘झूठ की राजनीति’ करने का आरोप लगाया

जनगणना कार्यक्रम पर टिप्पणी : भाजपा ने विपक्षी दलों पर ‘झूठ की राजनीति’ करने का आरोप लगाया
Modified Date: June 5, 2025 / 11:15 pm IST
Published Date: June 5, 2025 11:15 pm IST

नयी दिल्ली, पांच जून (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जनगणना कार्यक्रम की घोषणा की बृहस्पतिवार को सराहना की और विपक्षी दलों पर निम्न स्तर की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस राष्ट्रव्यापी प्रक्रिया के पूरा होने से उनकी ‘झूठ की राजनीति’ उजागर हो जाएगी। देशभर में जातिगत गणना के साथ जनगणना 2027 में शुरू होगी।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को घोषणा की थी कि जनगणना दो चरणों में कराने का निर्णय लिया गया है।

कांग्रेस ने जनगणना की घोषणा के तुरंत बाद कहा कि इसे 23 महीने तक टालने का कोई कारण नहीं है।

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कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार केवल सुर्खियां बटोरने में सक्षम है, समय सीमा को पूरा करने में नहीं।

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने केंद्र पर बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए जनगणना कार्यक्रम की घोषणा करने का आरोप लगाया।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग ने यादव के बयान पर पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस और विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन के अन्य घटक दल जातिगत गणना के मुद्दे पर निम्न स्तर की राजनीति कर रहे हैं।

चुग ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि पिछले 70 वर्ष में वे (विपक्षी दल) हमेशा जातिगत गणना से भागते रहे लेकिन अब, जब भाजपा ऐसा कर रही है, तो कांग्रेस और ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल अन्य दल बेचैन हो गए हैं क्योंकि उनके पाप उजागर हो जाएंगे।

उन्होंने आरोप लगाया कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और तेजस्वी यादव जैसे नेता जाति के नाम पर लोगों में ‘भय’ फैलाना चाहते थे, लेकिन अब उन्हें डर है कि जनगणना में ‘सही जानकारी’ एकत्र होने के बाद उनकी ‘झूठ की राजनीति’ उजागर हो जाएगी।

भाजपा नेता ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का 2027 में जनगणना कराने का फैसला एक स्वागत योग्य कदम है। यह देश के लोकतंत्र में पारदर्शिता और समावेश की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। यह प्रधानमंत्री मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास’ के दृष्टिकोण का एक शक्तिशाली उदाहरण भी है।”

भाषा जितेंद्र सुरेश

सुरेश


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