कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं को शांत करने के लिए एसआईआर के खिलाफ देश को गुमराह कर रही: नड्डा

कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं को शांत करने के लिए एसआईआर के खिलाफ देश को गुमराह कर रही: नड्डा

कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं को शांत करने के लिए एसआईआर के खिलाफ देश को गुमराह कर रही: नड्डा
Modified Date: December 16, 2025 / 08:53 pm IST
Published Date: December 16, 2025 8:53 pm IST

नयी दिल्ली, 16 दिसंबर (भाषा) केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने मंगलवार को राज्यसभा में कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह अपनी चुनावी विफलताओं को छिपाने के लिए निर्वाचन आयोग पर सवाल उठा कर राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचा रही है। साथ ही, उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस एसआईआर प्रक्रिया के माध्यम से वोटों की धांधली का झूठा विमर्श गढ़ कर देश को गुमराह कर रही है।

सदन के नेता नड्डा ने कहा कि कांग्रेस को निर्वाचन आयोग और चुनावी प्रक्रिया को दोष देने के बजाय, चुनावों में लगातार हार का वास्तविक कारण खोजना चाहिए।

कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए नड्डा ने कहा कि वह मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर निर्वाचन आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रही है, जो उसका संवैधानिक दायित्व है।

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चुनाव सुधार पर राज्यसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए नड्डा ने कहा कि एसआईआर समय-समय पर मतदाता सूची को शुद्ध करने के निर्वाचन आयोग के संवैधानिक अधिकारों के अंतर्गत आता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी पात्र मतदाता सूची से बाहर नहीं हो और किसी भी अपात्र मतदाता का नाम इसमें शामिल नहीं हो।

नड्डा ने कांग्रेस से सवाल किया, ‘‘क्या घुसपैठियों को मतदाता सूची में शामिल होने देना चाहिए? क्या उन्हें भारत में मतदाता सूचियों में शामिल होने और चुनावों में मतदान करने की अनुमति दी जानी चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘देश घुसपैठियों के वोटों से चलेगा या भारतीय नागरिकों के वोट से। क्या घुसपैठियों की पहचान करना निर्वाचन आयोग का काम नहीं है? हमें और इस सदन को एसआईआर का समर्थन करते हुए एक प्रस्ताव पारित करना चाहिए।’’

सदन के नेता नड्डा ने कहा, ‘‘पिछले चार महीनों में, एसआईआर को लेकर देश में एक ऐसा माहौल बनाने की कोशिश की गई है… जैसे कोई धांधली हो रही हो… (बिहार के) जो चुनाव परिणाम आए हैं, वे निश्चित रूप से आपको (कांग्रेस को) तकलीफ दे रहे होंगे। आप दवा कहीं और खोज रहे हैं, लेकिन बीमारी कहीं और है। आपको अपनी बीमारी खुद ही ढूंढनी होगी।’’

उन्होंने कहा कि यह विमर्श बनाना कि हार इसलिए होती है क्योंकि निर्वाचन आयोग अपना काम ठीक से नहीं कर रहा है, पार्टी के कार्यकर्ताओं को शांत कर सकता है, लेकिन यह राष्ट्रीय हित से ऊपर पार्टी के हितों को रखना है।

नड्डा ने आरोप लगाया, ‘‘सिर्फ अपने कार्यकर्ताओं को शांत करने के लिए, यह गलत धारणा फैलाना कि हम चुनाव इसलिए हार रहे हैं कि निर्वाचन आयोग गड़बड़ी कर रहा है, मुझे लगता है कि यह अपनी पार्टी के हितों और देश के हितों से समझौता करना है।’’

उन्होंने कांग्रेस पर हमला जारी रखते हुए कहा कि दशकों तक, निर्वाचन आयोग के कामकाज और कार्य पर निगरानी रखने की जिम्मेदारी एक ही पार्टी के पास थी जो लंबे समय तक सत्ता में रही।

उन्होंने कहा, ‘‘वास्तव में, यह केवल एक पार्टी नहीं बल्कि सिर्फ ‘एक परिवार’ था। फिर भी उस दौरान, किसी ने भी निर्वाचन आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल नहीं उठाया।’’

नड्डा ने सरकार के एसआईआर पर चर्चा नहीं कराने के विपक्ष के आरोप पर भी पलटवार किया और कहा कि मोदी सरकार संसद में किसी भी मुद्दे पर चर्चा से कभी नहीं भागती है।

नड्डा ने कहा, ‘‘आप (कांग्रेस) ने निर्वाचन आयोग के साथ-साथ ईवीएम पर भी सवाल उठाए हैं… 2004 और 2009 के चुनाव ईवीएम के माध्यम से हुए थे, जिसमें संप्रग ने जीत हासिल की थी।’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने तब सवाल क्यों नहीं उठाए।

भाजपा नेता ने कहा, ‘‘एसआईआर विशेष गहन पुनरीक्षण है जो निर्वाचन आयोग के संवैधानिक अधिकारों के तहत आता है। मतदाता सूची को समय-समय पर शुद्ध और दुरुस्त करना आयोग का कर्तव्य है।’

उन्होंने कहा कि एसआईआर नया नहीं है और यह 1952 से भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा रहा है। यह 1952, 1957 और 1961 में कराया गया था, जब जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री थे…1965 में, जब लालबहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री थे। 1983 में, जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं। 1987 और 1989 में, जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे।

उन्होंने कहा कि एसआईआर 2002 और 2004 में भी कराया गया।

नड्डा ने कहा, ”अटल (बिहारी वाजपेयी) जी को छोड़कर, जब भी एसआईआर किया गया, प्रधानमंत्री कांग्रेस से थे।” उन्होंने कहा कि संविधान के तहत आयोग के पास समय-समय पर मतदाता सूची को सत्यापित करने की शक्ति है।

उन्होंने कहा कि विपक्ष मतपत्र से चुनावों की ओर लौटना चाहता है लेकिन कृपलानी और आंबेडकर के चुनावों में क्या हुआ था, उसे याद किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने देखा है कि मतपेटियां कैसे गायब हो जाया करती थीं।’’

उन्होंने कहा कि 2014 से, निर्वाचन आयोग को कांग्रेस की ओर से चुनावी सुधारों के संबंध में एक भी सुझाव नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग के खिलाफ संवाददाता सम्मेलन के जरिए ‘एटम बम’ और ‘हाइड्रोजन बम’ लाने का दावा किया तथा आयोग की छवि खराब करने की कोशिश की गई, भले ही चुनावी संस्था ने सभी आरोपों का जवाब दिया हो।

भाषा

अविनाश सुभाष

सुभाष


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