कांग्रेस ने सरदार पटेल की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी |

कांग्रेस ने सरदार पटेल की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी

कांग्रेस ने सरदार पटेल की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी

:   Modified Date:  October 31, 2023 / 10:49 AM IST, Published Date : October 31, 2023/10:49 am IST

नयी दिल्ली, 31 अक्टूबर (भाषा) कांग्रेस ने देश के प्रथम उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर मंगलवार को उन्हें श्रद्धांजलि दी और देश को एकता के सूत्र में पिरोने के उनके योगदान को याद किया।

पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘संपूर्ण देश को एकता एवं अखंडता के सूत्र में पिरोने वाले भारत के लौह पुरुष, देश के प्रथम उप प्रधानमंत्री, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष व हमारे प्रेरणास्रोत, सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जयंती पर उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन।’

उन्होंने सरदार पटेल के एक कथन का भी उल्लेख किया जिसमें देश के प्रथम गृह मंत्री ने कहा था “हमारा कर्त्तव्य यह है कि हमें निश्चय कर लेना चाहिए कि हमें हिंदुस्तान में भाई-भाई की तरह रहना है… कोई भी कौम हो… हिन्दू हो, मुसलमान हो, सिख हो, पारसी हो, ईसाई हो, सबको यही समझना चाहिए कि यह हमारा मुल्क़ है।”

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘आज कृतज्ञ राष्ट्र सरदार वल्लभभाई पटेल की 148वीं जयंती मना रहा है। 13 फरवरी, 1949 को जवाहरलाल नेहरू ने उनकी कांस्य प्रतिमा का अनावरण करते हुए कहा था कि ‘आखिरकार, सरदार पटेल अकेले गुजरात के नहीं हैं, वह पूरे भारत के हैं। उन्होंने स्वतंत्र भारत का नक्शा तैयार किया है। भारत की स्वतंत्रता हासिल करने में उनका बहुत बड़ा हाथ था और बाद में उन्होंने इसे संरक्षित करने में भी अतुलनीय योगदान दिया…। ‘

उन्होंने कहा, ‘यहां यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि नेहरू ने अपनी सोच के खिलाफ जाकर अपने जीवनकाल के दौरान सिर्फ पटेल की कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया था।’

रमेश ने कहा, ‘विभिन्न सूबों के भारत के साथ एकीकरण में सरदार पटेल की भूमिका सर्वविदित है। मौलिक अधिकारों, अल्पसंख्यकों और जनजातीय सलाहकार समिति की उनकी अध्यक्षता भी अत्यंत महत्वपूर्ण थी जिसने देश के संविधान को बहुत निर्णायक रूप से आकार दिया।’

पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के नाडियाड में हुआ था। सरदार पटेल भारत के पहले गृहमंत्री थे और स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश की 560 से अधिक रियासतों का एकीकरण कर अखंड भारत के निर्माण का श्रेय उनकी सियासी और कूटनीतिक क्षमता को दिया जाता है।

भाषा हक शोभना मनीषा

मनीषा

 

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