‘आजाद’ के साइड इफेक्ट! इन तीन राज्यों में भी बढ़ी कांग्रेस की मुश्किलें, दो सीनियर नेता भी दे रहे टेंशन |

‘आजाद’ के साइड इफेक्ट! इन तीन राज्यों में भी बढ़ी कांग्रेस की मुश्किलें, दो सीनियर नेता भी दे रहे टेंशन

दरअसल, बुधवार को जब कांग्रेस ने 10 गारंटियों का ऐलान किया, जिसमें पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करना भी शामिल है। कांग्रेस का चुनावी मिशन के दौरान अब तक का यह सबसे बड़ा इवेंट था, लेकिन आनंद शर्मा इससे नदारद रहे। वहीं राहुल गांधी ने कांग्रेस के ऐलानों की तारीफ की।

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:13 PM IST, Published Date : September 1, 2022/1:38 pm IST

congresss difficulties increased in hariyana and himachal: नई दिल्ली। पिछले दिनों गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद नई पार्टी बनाने का ऐलान किया लेकिन कांग्रेस का यह नुकसान यहीं थम रहा है बल्कि इसकी आग हिमाचल और हरियाणा तक फैल चुकी है। एक तरफ गुलाम नबी आजाद से भूपिंदर सिंह हुड्डा की मुलाकात से हरियाणा कांग्रेस में बवाल मचा है तो वहीं हिमाचल में भी आनंद शर्मा के ’आजाद बोल’ के साइडइफेक्ट्स देखने को मिल रहे हैं।

दरअसल, बुधवार को जब कांग्रेस ने 10 गारंटियों का ऐलान किया, जिसमें पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करना भी शामिल है। कांग्रेस का चुनावी मिशन के दौरान अब तक का यह सबसे बड़ा इवेंट था, लेकिन आनंद शर्मा इससे नदारद रहे। वहीं राहुल गांधी ने कांग्रेस के ऐलानों की तारीफ की।

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इससे पहले आनंद शर्मा ने हिमाचल प्रदेश कांग्रेस की इलेक्शन कैंपेन कमिटी के चेयरमैन के पद से भी इस्तीफा दे दिया था। ऐसे में उनकी गैरहाजिरी यह बताती है कि उनकी नाराजगी कायम है। भले ही आनंद शर्मा का हिमाचल प्रदेश में बहुत ज्यादा जनाधार नहीं है, लेकिन इस तरह की फूट पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर निश्चित तौर पर असर डाल सकती है।

इधर हरियाणा में भी गुलाम नबी आजाद का इफेक्ट दिखाई दे रहा है, सोमवार को गुलाम नबी आजाद से मिलने वाले नेताओं में आनंद शर्मा, भूपिंदर सिंह हुड्डा और पृथ्वीराज चव्हाण शामिल थे। अब हरियाणा की सीनियर नेता कुमारी शैलजा ने भूपिंदर सिंह हुड्डा पर सवाल दाग दिए हैं। उनका कहना है कि भूपिंदर सिंह हुड्डा के खिलाफ हाईकमान को ऐक्शन लेते हुए कारण बताओ नोटिस जारी करना चाहिए।

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साफ है कि हरियाणा में भी आने वाले दिनों में कांग्रेस में उठापटक दिख सकती है। यह संकट ऐसे वक्त में पैदा हुआ है, जब हाईकमान ने भूपिंदर सिंह हुड्डा को हरियाणा में कमान सौंप दी है। इसके बाद भी उनकी गुलाम नबी आजाद से नजदीकी सोचने पर मजबूर कर रही है।

बीते दिनों ही हुड्डा के करीबी उदयभान को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर हाईकमान ने सोचा था कि हरियाणा में अब टकराव थम जाएगा। इसके बाद भी हुड्डा के रवैये ने पार्टी के सामने सवाल खड़ा किया है। हुड्डा दो बार हरियाणा के सीएम रहे हैं और जाट बिरादरी से आते हैं। उनका अच्छा जनाधार माना जाता है, लेकिन अब उनकी बगावत कांग्रेस को संकट में डाल सकती है।

इसकी एक वजह यह भी है कि वोटरों को आकर्षित करने वाले चेहरों का भी हरियाणा में कांग्रेस के पास अभाव है। इस तरह गुलाम नबी आजाद का इफेक्ट जम्मू-कश्मीर ही नहीं बल्कि हरियाणा और हिमाचल में भी कांग्रेस को मुश्किल में डालते हुए नजर आ रहा है।