कॉर्बेट प्रशासन और वन विभाग ने टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण के खिलाफ देरी से कार्रवाई की : सीईसी
कॉर्बेट प्रशासन और वन विभाग ने टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण के खिलाफ देरी से कार्रवाई की : सीईसी
ऋषिकेश, 25 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय की केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) ने टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई रोकने के लिए की जाने वाली कार्रवाई में देरी के लिए कॉर्बेट प्रशासन और राज्य के वन विभाग को जिम्मेदार ठहराया है।
इस महीने की शुरुआत में शीर्ष अदालत में दाखिल पूरक रिपोर्ट में सीईसी के सदस्य महेंद्र व्यास ने कहा,‘‘ यह विश्वास करना मुश्किल है कि कॉर्बेट पार्क में हुई गैर कानूनी गतिविधियां कॉर्बेट टाइगर रिजर्व या देहरादून स्थित वन विभाग के मुख्यालय में तैनात वरिष्ठ अधिकारियों की जानकारी के बिना हुई।’’
रिपोर्ट में कहा गया कि यह और भी अविश्वसनीय हो जाता है जब यह तथ्य सामने आता है कि कोटद्वार के लोगों के लाभ के लिए किए जा रहे ‘विकास कार्यों’ का इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया में प्रचार किया जा रहा था।
रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई 2021 में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक को शिकायत मिली कि पखरु रेंज में गैर कानूनी तरीके से अर्थमूविंग मशीन के जरिये पेड़ों की कटाई की जा रही है, लेकिन इसपर कार्रवाई करने के बजाय शिकायत नियमित प्रक्रिया के तहत कनिष्ठ अधिकारी को भेज दी गई।
इस महीने के शुरु में दाखिल पूरक रिपोर्ट में कहा गया कि इस मामले में सितंबर में उस समय कार्रवाई की गई जब प्रमुख अंग्रेजी अखबार ने अपने प्रथम पृष्ठ पर कॉर्बेट में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की खबर प्रकाशित की।
व्यास ने कहा कि गैर वन गतिविधियों के साथ पखरु में अवैध तरीके से टाइगर सफारी का निर्माण किया गया जिसके तहत एक दर्जन पर्यटन कॉटेज, सड़क, पुल और खुदाई कर जलाशय बनाया गया जिससे संवेदनशील वन पारिस्थितिकी का ‘विनाश’ हुआ।
भाषा धीरज पवनेश
पवनेश

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