अदालत ने अंबुमणि गुट को प्रतिद्वंद्वी गुट बताया, उन्हें अपनी विश्वसनीयता साबित करनी चाहिए: अरुल

अदालत ने अंबुमणि गुट को प्रतिद्वंद्वी गुट बताया, उन्हें अपनी विश्वसनीयता साबित करनी चाहिए: अरुल

अदालत ने अंबुमणि गुट को प्रतिद्वंद्वी गुट बताया, उन्हें अपनी विश्वसनीयता साबित करनी चाहिए: अरुल
Modified Date: December 8, 2025 / 08:25 pm IST
Published Date: December 8, 2025 8:25 pm IST

चेन्नई, आठ दिसंबर (भाषा) पट्टाली मक्कल काचि (पीएमके) नेता आर अरुल ने सोमवार को दावा किया कि दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले में जिस ‘प्रतिद्वंद्वी गुट’ का जिक्र किया गया है वह अंबुमणि रामदास गुट का है।

अरुल ने यहां एक प्रेस वार्ता में यह बात कही।

उन्होंने कहा, ‘‘जब निर्वाचन आयोग ने अदालत में स्वीकार किया है कि उसने अंबुमणि नीत गुट की मान्यता वापस ले ली है, तो वे कैसे यह दावा कर सकते हैं कि फैसला उनके पक्ष में है।’’

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उन्होंने कहा कि डॉ. अंबुमणि का पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) से कोई लेना-देना नहीं है।

पीएमके की सलेम जिला इकाई के सचिव ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘ इसलिए उन्हें ही यह मामला दीवानी अदालत में ले जाना चाहिए, हमें कहीं जाने की जरूरत नहीं है। इस पार्टी की स्थापना डॉ. एस रामदास ने की थी और अंबुमणि का इस पर कोई दावा नहीं है।’’

पिता और पुत्र के बीच तनाव वर्षों से चला आ रहा था लेकिन गठबंधनों को लेकर मतभेदों के बाद यह और बढ़ गया। 2025 के मध्य तक, दोनों खेमे अलग-अलग बैठकें और आम परिषदें आयोजित कर रहे थे और दोनों ही वैध होने का दावा कर रहे थे, जिससे पारिवारिक कलह नेतृत्व संघर्ष में बदल गई।

डॉ. रामदास ने 29 नवंबर को दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर निर्वाचन आयोग की इस घोषणा को चुनौती दी थी कि पार्टी के पदाधिकारियों का कार्यकाल एक अगस्त, 2026 तक वैध है और अंबुमणि तब तक पार्टी के अध्यक्ष हैं।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने चार दिसंबर को याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि वह पीएमके नेतृत्व का फैसला रिट याचिका के माध्यम से नहीं करेगा तथा प्रतिद्वंद्वी गुटों को यह तय करने के लिए सक्षम न्यायालय में जाना होगा कि पार्टी पर किसका नियंत्रण होगा।

प्रेस वार्ता में अरुल ने कहा कि उन्हें जल्द ही चुनाव चिह्न ‘आम’ मिलेगा और वे आगामी विधानसभा चुनाव इसी के तहत लड़ेंगे।

हालांकि निर्वाचन आयोग ने यह भी कहा है कि वह दोनों में से किसी को भी चुनाव चिह्न ‘आम’ आवंटित नहीं कर सकता। दोनों पक्षों के ‘असली’ पीएमके होने का दावा करने के बीच चुनाव आयोग ने यह भी घोषणा की है कि विवाद सुलझने तक वह पीएमके से फॉर्म ‘ए’ और फॉर्म ‘बी’ स्वीकार नहीं करेगा।

अरुल ने फार्म ‘ए’ और ‘बी’ के संबंध में कहा कि वे कानूनी पहलुओं पर विचार कर रहे हैं और जल्द ही कोई निर्णय लेंगे।

भाषा शोभना नरेश

नरेश


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