अदालत ने पति को नाबालिग बेटे की अभिरक्षा पूर्व पत्नी को लौटाने का दिया निर्देश

अदालत ने पति को नाबालिग बेटे की अभिरक्षा पूर्व पत्नी को लौटाने का दिया निर्देश

अदालत ने पति को नाबालिग बेटे की अभिरक्षा पूर्व पत्नी को लौटाने का दिया निर्देश
Modified Date: April 19, 2023 / 08:17 pm IST
Published Date: April 19, 2023 8:17 pm IST

नयी दिल्ली, 19 अप्रैल (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति को निर्देश दिया है कि वह अपनी तलाकशुदा पत्नी को बेटे की अभिरक्षा वापस दे दे।

व्यक्ति ने अपने नौ साल के बेटे को अपने साथ कुछ समय बिताने के बहाने उसकी मां (अर्थात् अपनी तलाकशुदा पत्नी) से दूर कर दिया था, जबकि पति-पत्नी के बीच तलाक के समय इस बात पर परस्पर सहमति बनी थी कि बच्चा अपनी मां के साथ रहेगा।

महिला की ओर से व्यक्त की गई आशंका के मद्देनजर, उच्च न्यायालय ने संबंधित पुलिस थाने के थाना प्रभारी (एसएचओ) को भी निर्देश दिया कि वह अदालत के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करें और महिला को अपना टेलीफोन नंबर प्रदान करें, ताकि वह (महिला) किसी भी कठिनाई की स्थिति में उनसे संपर्क कर सके।

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न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और गौरांग कंठ की खंडपीठ ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि आपसी सहमति से तलाक का आदेश प्राप्त करने के समय पूर्व दंपती ने अपने नाबालिग बेटे की अभिरक्षा और मुलाक़ात के संबंध में एक कानूनी और बाध्यकारी समझौते पर हस्ताक्षर किया था।

खंडपीठ ने कहा, ‘‘यह और स्पष्ट है कि नाबालिग बेटे की अभिरक्षा/मुलाक़ात के संबंध में नियमों और शर्तों का दोनों पक्षों द्वारा 18 मार्च, 2023 तक अनुपालन किया गया, जिसके बाद प्रतिवादी संख्या-दो (व्यक्ति) नाबालिग बच्चे को अपने साथ एक दिन का समय व्यतीत करने का झांसा देकर उठा ले गया।’’ दोनों पेशे से वकील हैं।

अदालत का यह आदेश महिला द्वारा अपने पूर्व पति को अपने बेटे को पेश करने के निर्देश संबंधी याचिका पर आया।

महिला ने अपनी याचिका में कहा है कि 18 मार्च को वह अपने बेटे के साथ अभिभावक-शिक्षक बैठक (पीटीएम) के लिए उसके स्कूल गई थी, जहां वह व्यक्ति भी मौजूद था।

याचिका में कहा गया है कि व्यक्ति ने कहा कि वह अपने बेटे के साथ दिन बिताना चाहता है और याचिकाकर्ता ने सद्भावनापूर्वक उसके अनुरोध को स्वीकार कर लिया। हालांकि, बाद में उस व्यक्ति ने महिला को उसका बेटा वापस देने से इनकार कर दिया।

अदालत के सामने उस व्यक्ति की दलील दी थी कि महिला बच्चे की देखभाल करने में असमर्थ थी, इसलिए वह नाबालिग की अभिरक्षा लेने के लिए विवश था।

उच्च न्यायालय ने कहा कि महिला ने दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते की शर्तों के अनुसार, अपने दायित्वों के निर्वहन का वचन दिया है।

भाषा सुरेश माधव

माधव


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