विलुप्तप्राय सारंग के संरक्षण के लिए ‘बर्ड डायवर्टर’ की स्थापना का न्यायालय का निर्देश |

विलुप्तप्राय सारंग के संरक्षण के लिए ‘बर्ड डायवर्टर’ की स्थापना का न्यायालय का निर्देश

विलुप्तप्राय सारंग के संरक्षण के लिए ‘बर्ड डायवर्टर’ की स्थापना का न्यायालय का निर्देश

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:28 PM IST, Published Date : April 24, 2022/10:19 pm IST

नयी दिल्ली, 24 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने विलुप्तप्राय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड और लेसर फ्लोरिकन के संरक्षण के लिए, गुजरात और राजस्थान के निजी एवं सरकार के स्वामित्व वाले बिजली उत्पादकों को निर्देश दिया है कि वे 20 जुलाई से पहले प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में ‘बर्ड डायवर्टर’ लगाने का काम पूरा करें।

शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि राजस्थान और गुजरात सरकार के साथ-साथ निजी बिजली उत्पादक यह सुनिश्चित करें कि बिजली पारेषण लाइन की कुल लंबाई और प्राथमिकता वाले इलाकों में इसके लिए आवश्यक ‘बर्ड डायवर्टर’ की अनुमानित संख्या का आकलन करने के लिए एक व्यापक प्रयास किया जाए और तीन सप्ताह के भीतर इसे पूरा किया जाए।

न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने कहा कि अदालत द्वारा नियुक्त तीन-सदस्यीय समिति केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के परामर्श से एक महीने के भीतर ‘बर्ड डायवर्टर’ के लिए आवश्यक गुणवत्ता का मानक तैयार करेगी, ताकि मानकों के पालन में एकरूपता हो सके।

पीठ ने अपने हालिया आदेश में कहा कि सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई है कि अदालत में किसी भी पक्ष या हस्तक्षेपकर्ता को ‘बर्ड डायवर्टर’ लगाने से कोई आपत्ति नहीं है।

न्यायालय ने कहा, ‘‘हालांकि, राजस्थान सरकार द्वारा अदालत के समक्ष दायर की गयी वादकालीन याचिका में उठाये गये कदमों को इंगित करने का प्रयास किया गया है, लेकिन हर तरह से प्रगति कम रही है।’’

पीठ ने निर्देश दिया, ‘‘कम से कम गुजरात और राजस्थान के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में ‘बर्ड डायवर्टर’ की स्थापना के लिए अत्यधिक तेजी के साथ प्रयास किया जाना चाहिए।’’

इसने कहा, ‘‘प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में ‘बर्ड डायवर्टर’ की स्थापना 20 जुलाई, 2022 से पहले पूरी हो जाएगी, जब आगे के दिशानिर्देश के लिए कार्यवाही संचालित होगी। यह दिशानिर्देश सरकारी स्वामित्व वाले और साथ ही निजी बिजली उत्पादकों के लिए होगा।’’

शीर्ष अदालत का यह आदेश सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी एम. के. रंजीतसिंह और अन्य द्वारा अधिवक्ता सोनिया दुबे के माध्यम से दायर याचिका पर आया।

याचिका में लुप्तप्राय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (जीआईबी) और लेसर फ्लोरिकन (एलएफ) का संरक्षण सुनिश्चित करने और इनकी संख्या बढ़ाने के लिए तत्काल आपातकालीन जवाबी योजना के वास्ते अदालत के निर्देश का अनुरोध किया गया है।

पीठ ने कहा कि इसके तुरंत बाद आवश्यक कदम उठाए जाएंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि गुजरात और राजस्थान के सभी बिजली उत्पादकों द्वारा ग्रेट इंडियन बस्टर्ड और लेसर फ्लोरिकन से जुड़े प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में बर्ड डायवर्टर की स्थापना को पूरा करने की समय सारिणी का पालन किया जाए।

शीर्ष अदालत ने 31 मार्च को राजस्थान और गुजरात सरकारों को ओवरहेड बिजली के तारों को भूमिगत बिजली तारों में बदलने पर अपनी स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।

भाषा

सुरेश वैभव

वैभव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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