न्यायालय ने तय समय में आरोप पत्र दाखिल नहीं होने पर यूएपीए आरोपी को जमानत दी
न्यायालय ने तय समय में आरोप पत्र दाखिल नहीं होने पर यूएपीए आरोपी को जमानत दी
नयी दिल्ली, पांच दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने जाली नोट रखने के आरोप में गिरफ्तार एक व्यक्ति को बिना मुकदमा शुरू किए दो साल तक कारावास में रखने पर घोर आपत्ति जताते हुए शुक्रवार को कहा कि उसे अनिश्चितकाल के लिए जेल में नहीं रखा जा सकता और इसी के साथ उसे जमानत दे दी।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने हिरासत को ‘अवैध’ करार देते हुए असम पुलिस को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (यूएपीए) के तहत वैधानिक अवधि के भीतर आरोपपत्र दाखिल नहीं करने पर कड़ी फटकार लगाई।
यूएपीए के प्रावधानों के तहत आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र 90 दिनों में दाखिल किया जाना और इस अवधि को अदालत की अनुमति से अधिकतम 180 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है।
पीठ ने कहा,‘‘यूएपीए के तहत चाहे जो भी कड़े प्रावधान हों, कानून में अवैध हिरासत का प्रावधान नहीं है। यह भयावह है।’’
शीर्ष अदालत ने असम सरकार के अधिवक्ता को पेश होने का निर्देश देते हुए कहा, ‘‘दो साल तक आपने आरोपपत्र दाखिल नहीं किया और वह व्यक्ति हिरासत में है। वास्तव में यह अवैध हिरासत है। आप खुद को देश की प्रमुख जांच एजेंसी मानते हैं?’’
राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने न्यायालय को सूचित किया कि आरोपी तोनलांग कोन्याक वास्तव में म्यांमा का नागरिक है और उसके पास से जाली भारतीय मुद्रा बरामद हुई थी तथा उसके खिलाफ कई मामले दर्ज हैं।
पीठ ने इस पर कहा कि उसे दो अन्य मामलों में ‘स्वत: जमानत’’ दी गई थी क्योंकि निर्धारित अवधि के भीतर आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया था और यूएपीए की धारा 43डी के तहत, आरोप पत्र दायर करने का समय अदालत के स्पष्ट आदेश द्वारा अधिकतम 180 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है।
न्यायमूर्ति मेहता ने अधिवक्ता से सवाल किया कि पुलिस को आरोपपत्र दाखिल करने से किसने रोका और कहा कि यह ‘‘स्वत:’’ जमानत का मामला है।
पीठ ने आरोपी को जमानत देते हुए कहा, ‘‘वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता की हिरासत दो साल से अधिक समय से जारी है और इसलिए, किसी भी तरह से इसे कानून सम्मत नहीं कहा जा सकता।’’
अभियोजन पक्ष के मुताबिक कोन्याक को 23 जुलाई, 2023 को असम पुलिस ने गिरफ्तार किया था और उसके पास से कथित तौर पर 3.25 लाख रुपये मूल्य की जाली भारतीय मुद्रा जब्त की गई थी।
भाषा धीरज नरेश
नरेश

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