नयी दिल्ली, 20 दिसंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने अधिकारियों को भीकाजी कामा प्लेस परिसर में पेड़ों के आसपास से तुरंत कंक्रीट हटाने का बुधवार को निर्देश दिया और इस तरह के ‘‘सौंदर्यीकरण’’ के पीछे के औचित्य पर सवाल उठाया।
न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने पेड़ों के आसपास कंक्रीट लगाए जाने और इससे वृक्षों को हुए नुकसान के संबंध में एक शिकायत पर त्वरित कार्रवाई नहीं करने संबंधी अवमानना याचिका पर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और वन विभाग के अधिकारियों को नोटिस जारी किया।
याचिकाकर्ता आदित्य एन प्रसाद ने कहा कि उन्हें अगस्त में पता चला कि डीडीए ‘‘सौंदर्यीकरण’’ के लिए भीकाजी कामा प्लेस कॉम्प्लेक्स में पेड़ों के चारों ओर एक चबूतरे का निर्माण कर रहा है।
न्यायमूर्ति सिंह ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘‘इस सौंदर्यीकरण का क्या मतलब है? क्या आप फुटपाथ पर कंक्रीट संरचनाएं बनाते हैं? यह पेड़ों के लिए है। आप इनकी गतिविधि को प्रतिबंधित कर रहे हैं? इसका क्या औचित्य है।’’
अदालत ने वन विभाग के वकील से इस बात का विस्तृत जवाब दाखिल करने को कहा कि शिकायत किए जाने के बावजूद पेड़ों की सुरक्षा के लिए कंक्रीटीकरण के खिलाफ उसके अधिकारियों ने कोई त्वरित कार्रवाई क्यों नहीं की।
इसने वन विभाग के वकील से कहा, ‘‘मैं आपका विभाग बंद कर दूंगा। आप पूरी तरह से अक्षम हैं… 50 दिन के बाद आप इस पर तुरंत कैसे कार्रवाई करेंगे? यह सही दिशा में नहीं जा रहा है। यह दुखद है।’’
अदालत ने कहा, ‘‘प्रतिवादियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि पेड़ों के आसपास से कंक्रीट ढांचा तुरंत हटाया जाए।’’
इसने वन संरक्षक को पेड़ों के कंक्रीटीकरण से संबंधित आदेश के उल्लंघन और इसके खिलाफ उठाए गए कदमों पर स्थिति रिपोर्ट भी पेश करने का निर्देश दिया।
याचिकाकर्ता ने कहा कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश हैं कि पेड़ों के तने के चारों ओर एक मीटर खुली जगह छोड़ी जाए और इसके पास हर प्रकार की निर्माण गतिविधि पर रोक लगाई जाए।
मामले पर आगे की सुनवाई 30 जनवरी को होगी।
भाषा सिम्मी नेत्रपाल
नेत्रपाल
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