नयी दिल्ली, 28 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दाखिल की गई है जिसमें कोविड-19 महामारी के दौरान दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और ऑक्सीजन सिलेंडर जैसी वस्तुओं की जमाखोरी, मुनाफाखोरी, मिलावट और कालाबाजारी को नियंत्रित करने के लिए सख्त सजा दिये जाने का अनुरोध किया गया है।
अधिवक्ता और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दाखिल याचिका में केंद्र और राज्यों को इन गतिविधियों में शामिल लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) लगाने और उनकी 100 प्रतिशत ‘‘बेनामी संपत्तियों और आय से अधिक संपत्तियों’’ को जब्त करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि मुनाफाखोरी, दवाओं में मिलावट और कालाबाजारी के कारण कई लोगों ने अपने परिवार के सदस्यों को खो दिया।
याचिका में जमाखोरी, मुनाफाखोरी, मिलावट और कालाबाजारी से संबंधित अंतरराष्ट्रीय कानूनों की जांच करने और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में इन अपराधों के लिए एक अध्याय सम्मिलित करने के लिए उचित कदम उठाने के लिए केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
अदालत से आग्रह किया गया है, ‘‘भारत के विधि आयोग को जमाखोरी, मिलावट, मुनाफाखोरी और कालाबाजारी से संबंधित अंतरराष्ट्रीय कानूनों की जांच करने और तीन महीने के भीतर एक रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया जाये।’’
याचिका में कहा गया है, ‘‘आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) और गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) श्रेणी के हजारों लोगों की अस्पतालों के बिस्तरों की जमाखोरी, मिलवाटी कोविड दवाओं, ऑक्सीजन सिलेंडर और रेमडेसिविर जैसे जीवन रक्षक टीकों की कालाबाजारी के कारण सड़कों, वाहनों, अस्पताल परिसरों और घरों में मौत हो गई।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘“हालांकि, जमाखोरी, मुनाफाखोरी, मिलावट और कालाबाजारी करने के लिए लोगों के खिलाफ लगभग 300 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। लेकिन न तो उनके खिलाफ एनएसए लगाया गया और न ही उनकी संपत्तियां जब्त की गई।’’
भाषा
देवेंद्र पवनेश
पवनेश
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)