अदालत ने थाने में तोड़फोड़ के मामले में प्राथमिकी रद्द की, कहा-‘पुलिस के आरोपों का कोई सबूत नहीं’
अदालत ने थाने में तोड़फोड़ के मामले में प्राथमिकी रद्द की, कहा-‘पुलिस के आरोपों का कोई सबूत नहीं’
नैनीताल, चार सितंबर (भाषा) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने दो साल पहले नैनीताल जिले के भवाली पुलिस थाने में तोड़फोड़ और कांस्टेबल पर हमले के मामले में दो व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को बृहस्पतिवार को इस आधार पर रद्द कर दिया कि आरोपों के समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं है।
न्यायमूर्ति आशीष नैथानी ने देवेंद्र मेहरा और उसके साथी पारस के खिलाफ दर्ज मामला खारिज करते हुए कहा कि ‘‘यह तर्कसंगत नहीं लगता कि गंभीर रूप से घायल कोई व्यक्ति इलाज के दौरान पुलिस थाने में हंगामा कर सकता है।’’
मामले के अनुसार 27 जून 2023 की रात को कांस्टेबल हयात चंद्र ने भवाली थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया था कि देवेंद्र और पारस ने नशे की हालत में थाने पहुंचकर एक पुलिसकर्मी पर हमला किया, उसे धमकी दी और थाने की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया।
इस आधार पर उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की प्रासंगिक धाराओं में मामला दर्ज किया गया।
उसी रात, देवेंद्र के भाई ने भी एक प्राथमिकी दर्ज कराई, जिसमें कहा गया कि उसी शाम एक बार में लड़ाई के दौरान देवेंद्र घायल हो गया था और उसे रात साढ़े आठ बजे भवाली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया, जहां से उसे हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल रेफर किया गया।
मेडिकल रिकॉर्ड से भी इस बात की पुष्टि हुई है।
उच्च न्यायालय ने इस मामले में नैनीताल के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा जारी समन को भी रद्द कर दिया और प्राथमिकी दर्ज होने के बाद शुरू की गई सभी कानूनी प्रक्रियाओं को स्थगित कर दिया।
हालांकि, अदालत ने यह स्पष्ट किया कि देवेंद्र के भाई द्वारा दर्ज प्राथमिकी पर शुरू की गई जांच और सुनवाई जारी रहेगी।
भाषा सं दीप्ति खारी
खारी

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