आरोप तय करने के खिलाफ याचिका खारिज करने के आदेश में हस्तक्षेप से अदालत का इनकार
आरोप तय करने के खिलाफ याचिका खारिज करने के आदेश में हस्तक्षेप से अदालत का इनकार
नयी दिल्ली, सात जून (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया, जिसमें आबकारी नीति ‘‘घोटाला’’ मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच पूरी होने तक आरोप तय करने को लेकर बहस शुरू करने पर आपत्ति जताने वाली हैदराबाद के व्यवसायी अरुण रामचंद्र पिल्लई की याचिका खारिज कर दी गई थी।
भ्रष्टाचार मामले में आरोपी पिल्लई ने 22 मार्च को पारित निचली अदालत के आदेश के खिलाफ दायर याचिका में कहा था कि जब तक केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) कथित साजिश में सह-आरोपी के खिलाफ अपनी जांच पूरी नहीं कर लेता और उन्हें सभी सामग्री उपलब्ध नहीं करा दी जाती, तब तक आरोप तय करने के पहलू पर विचार स्थगित कर दिया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि निचली अदालत ने याचिकाकर्ता की शिकायत पर पहले ही संज्ञान ले लिया है और उसके आदेश में कोई खामी नहीं है। उच्च न्यायालय ने अनुरोध किया कि आरोप पर दलीलें निचली अदालत द्वारा तुरंत सुनी जाएं।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘निचली अदालत ने पूरी निष्पक्षता के साथ अपने आदेश में पहले ही उल्लेख किया है कि हालांकि 16 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है और आरोपों पर दलीलें सुनने में काफी समय लगेगा, लेकिन यदि किसी अन्य आरोपी के खिलाफ कोई पूरक आरोप पत्र दाखिल किया जाता है, तो आरोपों को लेकर दलीलों पर सुनवाई रोकी जा सकती है और ऐसे आरोप पत्र एवं जिन दस्तावेजों पर भरोसा किया गया है, उनकी प्रतियां सभी आरोपियों को उपलब्ध कराई जाएंगी तथा वर्तमान आरोपी को भी रिकॉर्ड में लाई गई नई सामग्री या साक्ष्य के संबंध में अपनी दलीलें रखने का अवसर मिलेगा।’
अदालत ने कहा, ‘अतः, इस अदालत की राय है कि इस स्तर पर इस आदेश में हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि निचली अदालत ने पहले ही वर्तमान याचिकाकर्ता की शिकायत पर गौर किया है और उक्त आदेश में कोई खामी नहीं है।’
उसने कहा कि प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप यह है कि वह सह-आरोपी के. कविता से जुड़ी साजिश का हिस्सा था और चूंकि दोनों ने एक-दूसरे के साथ एक साजिश के तहत काम की, इसलिए उसके लिए यह महत्वपूर्ण होगा कि वह आरोपों पर बहस करने से पहले भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता के खिलाफ अभियोजन पक्ष द्वारा एकत्र की गई सामग्री और आरोपों का अवलोकन करे।
सीबीआई के इस रुख को ध्यान में रखते हुए कि कविता के संबंध में पूरक आरोपपत्र 10 जून को या उससे पहले दाखिल किया जाएगा, अदालत ने निर्देश दिया कि सुनवाई के पहले दिन ही जांच अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि आरोपियों को हार्ड कॉपी के साथ-साथ डिजिटल कॉपी भी मुहैया कराई जाए।
इससे पहले दिन में जांच एजेंसी ने निचली अदालत के समक्ष कविता के खिलाफ एक पूरक आरोपपत्र दाखिल किया।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा कि निचली अदालत मामले में दस्तावेजों की जांच के लिए ‘नजदीकी तारीखें’ देगा और चूंकि कई आरोपी न्यायिक हिरासत में हैं, इसलिए यह उनके हित में होगा कि दस्तावेजों की जांच के उद्देश्य से बहुत आगे की तारीखें या स्थगन न मांगा जाए।
अदालत ने कहा कि आरोपियों की ओर से दस्तावेजों की जांच में कोई अनावश्यक देरी नहीं होनी चाहिए, ताकि त्वरित सुनवाई सुनिश्चित हो सके।
याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व वकील नितेश राणा ने किया। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि इस संबंध में उनके आवेदन को खारिज करने वाला निचली अदालत का आदेश मनमाना, अवैध है और उनके मौलिक और कानूनी अधिकारों का उल्लंघन है।
यह मामला 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति के निर्माण और क्रियान्वयन में कथित भ्रष्टाचार से संबंधित है। नीति को बाद में रद्द कर दिया गया था।
पिल्लई सीबीआई मामले में जमानत पर है। उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छह मार्च को संबंधित धनशोधन मामले में गिरफ्तार किया था।
भाषा अमित सुरेश
सुरेश

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