अदालत ने आरआरटीएस को बताया महत्वपूर्ण परियोजना, तोड़फोड़ कार्रवाई रोकने से किया इनकार

अदालत ने आरआरटीएस को बताया महत्वपूर्ण परियोजना, तोड़फोड़ कार्रवाई रोकने से किया इनकार

अदालत ने आरआरटीएस को बताया महत्वपूर्ण परियोजना, तोड़फोड़ कार्रवाई रोकने से किया इनकार
Modified Date: May 12, 2025 / 05:02 pm IST
Published Date: May 12, 2025 5:02 pm IST

नयी दिल्ली, 12 मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने राजधानी के सराय काले खां स्थित नमो भारत मेट्रो रेल स्टेशन के निकट दूकान (कियोस्क) गिराए जाने के मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और कहा कि क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) लाइन एक महत्वपूर्ण परियोजना है।

दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ (क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) आरआरटीएस कॉरिडोर से दिल्ली और मेरठ के बीच यात्रा का समय एक घंटे से भी कम हो जाने की उम्मीद है। यह कॉरिडोर 82 किलोमीटर से अधिक लंबा है।

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और न्यायमूर्ति रजनीश कुमार गुप्ता की पीठ ने कहा कि दुकानों के लिए जनवरी 2018 में जारी किया गया तहबाजारी प्रमाणपत्र अस्थायी प्रकृति का है और उसने ‘कियोस्क’ मालिकों से अपना सामान बाहर निकालने को कहा।

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अदालत दो ‘कियोस्क’ संचालकों द्वारा दायर याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें सराय काले खां में उस्ताद हाफिज अली खान साहिब मार्ग पर तहबाजारी स्थल पर तोड़फोड़ गतिविधि पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया।

तहबाजारी प्रमाण पत्र दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) या नयी दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) द्वारा जारी किया गया एक परमिट है, जो किसी व्यक्ति को निर्दिष्ट सार्वजनिक क्षेत्र में छोटा व्यवसाय या दुकान संचालित करने की अनुमति देता है।

अदालत ने आठ मई के अपने फैसले में कहा, ‘‘विकास कार्य दुकान के आसपास ही किया जा रहा है और वास्तव में याचिकाकर्ताओं की दुकानें विकास के रास्ते में आएंगी। आरआरटीएस लाइन एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजना है, जिसका काम एनसीआरटीसी (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम) द्वारा किया जा रहा है।’’

पीठ ने कहा, ‘‘इस तथ्य पर विचार करते हुए कि तहबाजारी अस्थायी है और आरआरटीएस परियोजना जनहित वाली परियोजना है, याचिकाकर्ता यह दलील नहीं दे सकते कि उन्हें बेदखल नहीं किया जा सकता।’’

अदालत ने कहा कि वैकल्पिक स्थल के लिए याचिकाकर्ताओं की याचिका पर अधिकारियों द्वारा दो महीने के भीतर विचार किया जाना चाहिए और निर्णय लिया जाना चाहिए।

एनसीआरटीसी के वकील ने कहा कि आगे की पुनर्विकास प्रक्रिया के लिए याचिकाकर्ताओं के ‘कियोस्क’ को ध्वस्त करना आवश्यक है।

भाषा आशीष अविनाश

अविनाश


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