अदालत ने नाबालिग के यौन उत्पीड़न मामले में बुजुर्ग व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज की
अदालत ने नाबालिग के यौन उत्पीड़न मामले में बुजुर्ग व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज की
नयी दिल्ली, 28 अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने 10 वर्षीय बच्ची के कथित यौन उत्पीड़न के मामले में 70 वर्षीय एक व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि उम्र में भारी अंतर अपराध की गंभीरता को बढ़ाता है और ‘‘शोषण’’ तथा ‘‘भरोसे को तोड़ने’’ को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा करता है।
न्यायमूर्ति अजय दिगपॉल ने व्यक्ति की इस दलील को खारिज कर दिया कि बच्ची की चिकित्सीय जांच में यौन उत्पीड़न की कोई बाहरी या आंतरिक चोट नहीं पाई गई है। उन्होंने कहा कि बच्चे वयस्कों की तरह यौन उत्पीड़न का उतनी ताकत से विरोध नहीं कर सकते।
आदेश में कहा गया, ‘‘चिकित्सीय परीक्षण में चोटों के न होने के बारे में आवेदक का तर्क भी उतना ही अविश्वसनीय है। यह एक स्थापित तथ्य है कि शारीरिक चोटों का न होना, स्वतः ही, अभियोजन पक्ष के मामले को खारिज नहीं करता है, विशेष रूप से बच्चों से जुड़े मामलों में।’’
उच्च न्यायालय ने 25 अगस्त के अपने आदेश में कहा, ‘‘बच्चे वयस्कों के समान बलपूर्वक यौन हमले का विरोध नहीं कर सकते और हमले की प्रकृति हमेशा दिखाई देने वाली या स्थायी चोटों का कारण नहीं बन सकती।’’
इस दावे पर कि एफएसएल रिपोर्ट में व्यक्ति को कथित कृत्य से जोड़ने वाला कोई भी सबूत नहीं मिला, अदालत ने कहा कि फॉरेंसिक साक्ष्य जांच का केवल एक पहलू है।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘जहाँ पीड़ित, विशेष रूप से बाल पीड़ित, की स्पष्ट, ठोस और विश्वसनीय गवाही के रूप में प्रत्यक्ष साक्ष्य मौजूद हैं, वहाँ हमेशा यह आवश्यक नहीं है कि वैज्ञानिक साक्ष्य भी मौजूद हों। इसलिए, डीएनए या जैविक साक्ष्य का अभाव इस स्तर पर आरोप की सत्यता का निर्धारण नहीं कर सकता।’’
इस मामले में आरोपी को अक्टूबर 2023 में गिरफ्तार किया गया था।
उसने इस आधार पर जमानत मांगी कि वह वृद्धावस्था संबंधी बीमारियों से पीड़ित है और उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है।
न्यायाधीश ने व्यक्ति के खिलाफ आरोपों की गंभीर प्रकृति की ओर इशारा करते हुए कहा कि वर्तमान में जमानत देने की कोई स्थिति नहीं है।
भाषा नेत्रपाल नरेश
नरेश

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