अदालत ने कोविड-19 के उपचार मानकों में बदलाव की याचिका खारिज की, जुर्माना लगाया

अदालत ने कोविड-19 के उपचार मानकों में बदलाव की याचिका खारिज की, जुर्माना लगाया

अदालत ने कोविड-19 के उपचार मानकों में बदलाव की याचिका खारिज की, जुर्माना लगाया
Modified Date: November 29, 2022 / 08:19 pm IST
Published Date: May 25, 2021 11:59 am IST

नयी दिल्ली, 25 मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने कोरोना वायरस के मरीजों का उपचार करने संबंधी वर्तमान प्रोटोकॉल में बदलाव के अनुरोध वाली एक जनहित याचिका खारिज कर दी और याचिकाकर्ता पर 25,000 का जुर्माना भी लगाया।

अदालत ने कहा कि उपचार का तरीका विशेषज्ञों के बीच चर्चा, जांच तथा प्रयोगों के आधार पर तय किया गया है। इसके साथ ही मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

उक्त याचिका दो चिकित्सकों और दो अध्ययनकर्ता विश्लेषकों ने दायर की थी। इसमें कहा गया था कि एंटीपायरेटिक दवाएं मसलन पैरासिटामॉल, एंटीबायोटिक तथा स्टेरॉयड का इस्तेमाल कोविड-19 के गंभीर मामलों में ही किया जाए तथा संक्रमण के शुरुआती चरण में इनका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।

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अदालत ने कहा कि कौन सी दवाएं दी जानी चाहिए और कितनी मात्रा में दी जानी चाहिए, यह प्रयोगों तथा सत्यापित आंकड़ों के आधार पर तय हुआ है और इनमें याचिकाकर्ताओं के दिए सुझावों के आधार पर ‘‘आसानी से बदलाव नहीं किया जा सकता।’’

पीठ ने यह भी कहा कि वह याचिकाकर्ताओं के अनुरोध पर विचार करने का निर्देश नीति आयोग तथा भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद को नहीं देगी क्योंकि इनके अधिकारी कोविड-19 तथा ब्लैक फंगस से निबटने में व्यस्त हैं।

उसने कहा कि याचिकाकर्ताओं के किसी भी विचार पर केंद्र, आईसीएमआर और नीति आयोग को फैसला करने का निर्देश नहीं दिया जा सकता, जब तक कि तथ्यों में ऐसा वांछित नहीं हो।

पीठ ने कहा कि इस याचिका को विचारार्थ स्वीकार कर लिया तो सभी लोग देशभर में रोगियों को दी जाने वाली दवाओं और उनकी खुराक संबंधी सुझाव लेकर अदालत में आ जाएंगे।

अदालत ने कहा कि यह अर्जी जनहित याचिका नहीं है बल्कि प्रचार हित याचिका है। अदालत ने याचिकाकर्ताओं पर 25,000 रूपये का जुर्माना लगाया और चार हफ्ते के भीतर इसे भरने का निर्देश दिया।

भाषा वैभव अनूप

अनूप


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