असोला भाटी वन्यजीव अभयारण्य के अंदर कार्यक्रम की अनुमति देने के विषय पर अदालत का फैसला सुरक्षित

असोला भाटी वन्यजीव अभयारण्य के अंदर कार्यक्रम की अनुमति देने के विषय पर अदालत का फैसला सुरक्षित

असोला भाटी वन्यजीव अभयारण्य के अंदर कार्यक्रम की अनुमति देने के विषय पर अदालत का फैसला सुरक्षित
Modified Date: December 5, 2023 / 10:09 pm IST
Published Date: December 5, 2023 10:09 pm IST

नयी दिल्ली, पांच दिसंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को इस विषय पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया कि यहां दक्षिणी रिज में स्थित असोला भाटी वन्यजीव अभयारण्य के अंदर वन विभाग को इस महीने ‘वाक विद वाइल्डलाइफ’ कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति दी जाए या नहीं।

न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने अभयारण्य के अंदर लोगों की सुरक्षा के संबंध में अपनी चिंता दोहराई, जिसे आठ-नौ तेंदुओं के साथ-साथ लकड़बग्घे और सियार जैसे अन्य जंगली जानवरों का बसेरा माना जाता है। अदालत ने पक्षकारों के वकील को सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।

अदालत ने कहा, ‘‘हम लोगों को इससे कैसे अवगत करा सकते हैं? आपको ऐसा लगता है कि तेंदुआ छिप कर रहने वाला जानवर है। इस तरह के साहसिक कार्य की अनुमति नहीं दी जा सकती। अगर किसी व्यक्ति को चोट पहुंची, तो क्या होगा? वहां बच्चे भी हो सकते हैं।’’

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न्याय मित्र अधिवक्ता गौतम नारायण और आदित्य एन प्रसाद ने दलील दी कि असोला भाटी के अंदर कोई मानवीय गतिविधि नहीं हो सकती है जो एक संरक्षित क्षेत्र है। अदालत को सूचित किया गया कि अभयारण्य से भटका हुआ तेंदुआ, जिसे पिछले सप्ताह निकट की एक आवासीय कॉलोनी में देखा गया था, अभी तक पकड़ा नहीं जा सका है।

न्यायमूर्ति सिंह ने तब सरकारी वकील से यह कहते हुए निर्देश लेने को कहा कि यह अभयारण्य ‘मसाई मारा’ या ‘सेरेन्गेटी’ नहीं है। ‘मसाई मारा’ केन्या का एक खेल रिजर्व है और ‘सेरेन्गेटी’ तंजानिया का एक राष्ट्रीय उद्यान है।

अदालत ने सोमवार को वन विभाग से नौ और 10 दिसंबर को कार्यक्रम आयोजित करने के प्रस्ताव पर आगे बढ़ने से पहले खुद को व्यवस्थित करने को कहा था।

भाषा संतोष सुभाष

सुभाष


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