अदालत ने पूर्व सीआईएसएफ अधिकारी का ‘सम्मान’ बहाल किया, अनिवार्य सेवानिवृत्ति रद्द की
अदालत ने पूर्व सीआईएसएफ अधिकारी का ‘सम्मान’ बहाल किया, अनिवार्य सेवानिवृत्ति रद्द की
नयी दिल्ली, 27 दिसंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने उस 72 वर्षीय पूर्व सीआईएसएफ अधिकारी का ‘सम्मान’ बहाल किया, जिसे एक महिला सहकर्मी के यौन उत्पीड़न के आरोप में 20 साल पहले जबरन सेवानिवृत्त कर दिया गया था। अदालत ने कहा कि शिकायत किसी गुप्त उद्देश्य से प्रेरित प्रतीत होती है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाया गया आरोप साबित नहीं हुआ है और अगर यह मान भी लिया जाए कि जांच अधिकारी ने इसे साबित कर दिया है, तो भी अनिवार्य सेवानिवृत्ति जैसी गंभीर सजा नहीं दी जानी चाहिए।
न्यायमूर्ति दिनेश मेहता और न्यायमूर्ति विमल कुमार यादव की पीठ ने 19 दिसंबर को पारित एक आदेश में कहा, ‘‘इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि (आरोप के बाद से) लगभग 25 साल की अवधि बीत चुकी है और याचिकाकर्ता 72 वर्ष की आयु प्राप्त कर चुका है, हमें लगता है कि कम से कम हम जो कर सकते हैं, वह उसका सम्मान बहाल करना है, जो हमारे अनुसार, ‘अनिवार्य सेवानिवृत्ति’ के आदेश की कार्रवाई से नष्ट हो गया है।’’
पीठ ने कहा कि उसे लगता है कि शिकायतकर्ता का पत्र किसी गुप्त उद्देश्य से प्रेरित था, शायद इस तथ्य के कारण कि याचिकाकर्ता ने उसके खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी।
अदालत ने यह आदेश याचिकाकर्ता, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के पूर्व सहायक कमांडेंट की याचिका पर पारित किया, जिसमें उपमहानिरीक्षक (एल एंड आर) के अक्टूबर 2005 के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसके द्वारा उन्हें सेवा से अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया गया था। याचिका 2006 में दायर की गई थी।
उच्च न्यायालय ने 2005 के आदेश और 2004 की जांच रिपोर्ट को भी यह कहते हुए रद्द कर दिया कि तीसरी प्रारंभिक जांच और परिणामी अनुशासनात्मक जांच स्वयं में अनावश्यक थी और जांच अधिकारी द्वारा दर्ज किया गया निष्कर्ष साक्ष्य के अनुसार नहीं था।
अदालत ने कहा, ‘‘अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेश को रद्द करने के परिणामस्वरूप, याचिकाकर्ता को सेवानिवृत्ति की आयु प्राप्त करने तक सेवा करने वाला माना जाएगा। अनिवार्य सेवानिवृत्ति की तारीख (26 अक्टूबर, 2005) और सेवानिवृत्ति प्राप्त करने की तारीख के बीच की अवधि को उसकी सेवा में गिना जाएगा। हालांकि, उसकी पेंशन तदनुसार संशोधित की जाएगी। हालांकि उसे पेंशन का बकाया नहीं मिलेगा, लेकिन वह एक मार्च 2026 से प्रभावी रूप से संशोधित पेंशन प्राप्त करने का हकदार होगा।’’
भाषा अमित नेत्रपाल
नेत्रपाल

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