अदालत ने सीआईएसएफ कर्मी के लापता होने का मामला अपराध शाखा को सौंपा

अदालत ने सीआईएसएफ कर्मी के लापता होने का मामला अपराध शाखा को सौंपा

अदालत ने सीआईएसएफ कर्मी के लापता होने का मामला अपराध शाखा को सौंपा
Modified Date: November 29, 2022 / 07:52 pm IST
Published Date: September 30, 2020 2:14 pm IST

नयी दिल्ली, 30 सितंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस साल मई महीने से एक सीआईएसएफ कर्मी के लापता होने की जांच का मामला बुधवार को दिल्ली पुलिस अपराध शाखा को सौंप दिया।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने सीआईएसएफ कांस्टेबल वेंकट राव की पत्नी द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। राव की पत्नी ने अपने पति के बारे में जानकारी देने का अनुरोध किया है। राव धौला कुआं स्थित अपने कार्यालय गए थे और उसके बाद वह लापता हैं।

उच्च न्यायालय के निर्देश पर 17 सितंबर को भारतीय दंड संहिता की धारा 365 (अपहरण) के तहत उस्मानपुर थाने में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

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बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका ऐसे व्यक्ति को पेश करने का निर्देश देने का अनुरोध करने के लिए दायर की जाती है जो लापता या अवैध रूप से हिरासत में है।

महिला राजा कुमारी ने अपने पति के ठिकाने का पता लगाने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जो ड्राइवर के रूप में काम करते थे। कुमारी को इस मामले में गड़बड़ी होने का संदेह जताया है।

कुमारी के वकील आर बाजाजी और के श्रवण कुमार ने कहा कि राव 26 मई से लापता हैं जब वह धौला कुआ में अपने कार्यालय गए थे। उस समय उन्होंने आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी में अपने घर जाने के लिए छुट्टी की मंजूरी मांगी थी।

दिल्ली सरकार के स्थायी वकील राहुल मेहरा और अधिवक्ता चैतन्य गोसाईं ने कहा कि मामले को आगे की जांच के लिए अपराध शाखा को स्थानांतरित किए जाने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।

भाषा अविनाश उमा

उमा


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