हिरासत में यातना: जम्मू-कश्मीर के आठ पुलिसकर्मियों को पांच दिन की सीबीआई हिरासत में भेजा गया

हिरासत में यातना: जम्मू-कश्मीर के आठ पुलिसकर्मियों को पांच दिन की सीबीआई हिरासत में भेजा गया

हिरासत में यातना: जम्मू-कश्मीर के आठ पुलिसकर्मियों को पांच दिन की सीबीआई हिरासत में भेजा गया
Modified Date: August 21, 2025 / 11:19 pm IST
Published Date: August 21, 2025 11:19 pm IST

श्रीनगर, 21 अगस्त (भाषा) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने बृहस्पतिवार को जम्मू-कश्मीर पुलिस के उन आठ कर्मियों को पांच दिन की हिरासत में भेज दिया जिन्हें दो साल पहले एक साथी पुलिस कांस्टेबल पर ‘‘क्रूर और अमानवीय तरीके से हिरासत में यातना’’ देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

बुधवार रात को विस्तृत पूछताछ के बाद हिरासत में लिये गए आठ अधिकारियों से, मादक पदार्थों के तस्करों की मदद करने के संदेह में कांस्टेबल खुर्शीद अहमद चौहान को छह दिन तक प्रताड़ित करने में प्रत्येक आरोपी की भूमिका का पता लगाने के लिए आगे पूछताछ की जाएगी।

अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने बुधवार रात पुलिस उपाधीक्षक ऐजाज अहमद नैको, उपनिरीक्षक रियाज अहमद, जहांगीर अहमद, मोहम्मद यूनुस, शाकिर अहमद, तनवीर अहमद, अल्ताफ हुसैन और शाहनवाज को गिरफ्तार किया था।

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उन्होंने बताया कि उन्हें यहां सीबीआई अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया।

अधिकारियों ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश पर दर्ज प्राथमिकी में केंद्रीय एजेंसी ने पांच अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जो उस समय संयुक्त पूछताछ केंद्र, कुपवाड़ा में तैनात थे।

जांच के दौरान सीबीआई को दो और पुलिसकर्मियों की संलिप्तता के सबूत मिले, जिन्होंने न सिर्फ यातना में सहायता की, बल्कि जांच में सहयोग भी नहीं किया।

पीड़ित कांस्टेबल खुर्शीद अहमद उस समय बारामूला में तैनात थे, और उन्हें 17 फरवरी 2023 को कुपवाड़ा एसएसपी के समक्ष पेश होने के लिए बुलाया गया था, जहां उन्हें पूछताछ के लिए संयुक्त पूछताछ केंद्र (जेआईसी) के हवाले कर दिया गया।

पीड़ित की पत्नी द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत में आरोप लगाया गया है कि जेआईसी में खुर्शीद अहमद को छह दिन तक लोहे की छड़ों, लकड़ी के डंडों और बिजली के झटकों से यातना दी गई, साथ ही उनके जननांगों को विकृत किया गया।

यह शिकायत अब प्राथमिकी का हिस्सा है।

शिकायत में कहा गया, ‘‘अंततः 26 फरवरी 2023 को खुर्शीद के जननांग काट दिए गए और लगातार छह दिन तक उनके निजी अंगों में लोहे की छड़ें डाली गईं। गुदा में मिर्च पाउडर डाला गया और बिजली के झटके दिए गए।’’

उच्चतम न्यायालय ने इस मामले को सीबीआई को सौंपते हुए टिप्पणी की थी, ‘‘पीड़ित को 26 फरवरी, 2023 को दोपहर 2.48 बजे एसकेआईएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां एक उप निरीक्षक उनके कटे हुए अंगों को एक अलग प्लास्टिक बैग में लेकर आया। यह हमारी चेतना को झकझोर देने वाली बात थी।’’

खुर्शीद की पत्नी द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर सीबीआई द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि तत्कालीन कुपवाड़ा एसएसपी के कहने पर पीड़ित को मादक पदार्थ मामले में जांच के लिए बारामूला से कुपवाड़ा भेजा गया था, लेकिन वह मूकदर्शक बने रहे। खुर्शीद की पत्नी अपने पति के खिलाफ कथित अत्याचारों की जांच के लिए दर-दर भटकती रही थीं।

जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय द्वारा सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका खारिज किए जाने के बाद, खुर्शीद ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया था।

मामला सीबीआई को सौंपते हुए, उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि उच्च न्यायालय ने ‘‘नागरिक के मौलिक अधिकारों, उसकी गरिमा और जीवन के अधिकार की रक्षा करने के अपने संवैधानिक दायित्व का पालन करने में घोर भूल की है।’’

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि आरोपियों को बचाने की कोशिश और आत्महत्या का तर्क जांच और मेडिकल रिपोर्ट के सामने टिक नहीं पाया।

न्यायालय ने खुर्शीद के पक्ष में 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया, जो जिम्मेदार अधिकारियों से वसूला जाएगा और उनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जाएगी, जो सीबीआई जांच के पूरा होने पर शुरू होगी।

सीबीआई की प्राथमिकी में यह भी उल्लेख है कि कुपवाड़ा के तत्कालीन एसएसपी, जिनके आदेश पर पीड़ित को वहां भेजा गया, मामले में मूक दर्शक बने रहे, हालांकि उन्हें अभी तक आरोपी नहीं बनाया गया है।

न्यायालय ने कहा कि मेडिकल प्रमाण यह साबित करते हैं कि पीड़ित की चोटें स्व-प्रेरित नहीं हो सकतीं और पुलिस का आत्महत्या का दावा विसंगतियों और गंभीर चिकित्सीय साक्ष्यों के कारण पूरी तरह खारिज हो जाता है।

उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई को यह निर्देश भी दिया कि वह संयुक्त पूछताछ केंद्र, कुपवाड़ा में प्रणालीगत खामियों की विस्तृत जांच करे, जिसमें सीसीटीवी फुटेज, स्टाफ से पूछताछ, फॉरेंसिक जांच और हिरासत प्रोटोकॉल की समीक्षा शामिल हो।

भाषा

देवेंद्र सुरेश

सुरेश


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