दिल्ली-देहरादून ई-वे: न्यायालय ने एनजीओ से विशेषज्ञों के नाम मांगे, पैनल के समक्ष शिकायत करने को कहा

दिल्ली-देहरादून ई-वे: न्यायालय ने एनजीओ से विशेषज्ञों के नाम मांगे, पैनल के समक्ष शिकायत करने को कहा

दिल्ली-देहरादून ई-वे: न्यायालय ने एनजीओ से विशेषज्ञों के नाम मांगे, पैनल के समक्ष शिकायत करने को कहा
Modified Date: November 29, 2022 / 08:15 pm IST
Published Date: April 8, 2022 9:46 pm IST

नयी दिल्ली, आठ अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) से कहा कि वह दिल्ली-देहरादून इकनॉमिक कॉरिडोर एक्सप्रेसवे को हरी झंडी देने के राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश के खिलाफ पर्यावरण और जैव-विविधता पर अपनी शिकायत एक विशेषज्ञ समिति के समक्ष उठा सकता है। यह प्रस्तावित ‘आर्थिक गलियारा’ दोनों शहरों के बीच यात्रा के समय को चार घंटे कम कर देगा।

शीर्ष अदालत ने हालांकि एनजीओ की आशंकाओं को दूर करने के लिए वन अनुसंधान और प्रबंधन संस्थानों सहित कुछ नाम मांगे, जिनके प्रतिनिधियों को विशेषज्ञ समिति में शामिल किया जा सकता है।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की योजना के अनुसार नया छह-लेन वाला राजमार्ग यात्रा के समय को साढ़े छह घंटे से घटाकर केवल ढाई घंटे कर देगा और इसमें वन्यजीवों और जंगलों की सुरक्षा के लिए 12 किलोमीटर की ‘एलिवेटेड’ सड़क होगी।

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न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा कि सोमवार तक संस्थान और विशेषज्ञों के नाम दिए जा सकते हैं और वह एनजीओ को समिति के समक्ष शिकायतों को उठाने के लिए कहेगी।

पीठ ने कहा कि एनजीटी ने अपना दिमाग लगाया है और एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है जिसमें मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी और केंद्र तथा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड दोनों के विभिन्न वन अधिकारी शामिल हैं, जो कि व्यापक जनहित और देश की रक्षा को ध्यान में रखते हैं।

एनजीओ ‘सिटीजन्स ऑफ ग्रीन दून’ की ओर से पेश अधिवक्ता ऋत्विक दत्ता ने कहा कि इस परियोजना से क्षेत्र की पारिस्थितिकी को हुए नुकसान की भरपाई नहीं की जाएगी।

उन्होंने कहा कि यह अदालत पहले ही मामले को एनजीटी को वापस भेज चुकी है और उसे हर पहलू पर विचार करना चाहिए और प्रतिपूरक वनीकरण से संबंधित कारण बताना चाहिए क्योंकि ये सभी घने जंगल हैं, जहां पेड़ों की कटाई शुरू हो गई है।

भाषा

प्रशांत दिलीप

दिलीप


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