दिल्ली सरकार ने स्कूलों, कॉलेजों के माध्यम से ‘पर्यावरण योद्धा’ बनाने का अभियान शुरू किया

दिल्ली सरकार ने स्कूलों, कॉलेजों के माध्यम से 'पर्यावरण योद्धा' बनाने का अभियान शुरू किया

दिल्ली सरकार ने स्कूलों, कॉलेजों के माध्यम से ‘पर्यावरण योद्धा’ बनाने का अभियान शुरू किया
Modified Date: May 23, 2025 / 10:25 am IST
Published Date: May 23, 2025 10:25 am IST

नयी दिल्ली, 23 मई (भाषा) दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में दो लाख छात्रों को लक्षित करते हुए एक पर्यावरण-जागरुकता अभियान शुरू किया, जिसका उद्देश्य स्कूलों और कॉलेजों के माध्यम से ‘‘पर्यावरण योद्धाओं’’ की एक पीढ़ी का निर्माण करना है।

विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त गैर-लाभकारी संस्थान ‘टेरी’ इस परियोजना के लिए कार्यान्वयन एजेंसी होगी। टेरी के पास टिकाऊ विकास का चार दशकों से अधिक का अनुभव है।

अभियान के लिए दिल्ली सरकार के पर्यावरण विभाग और ‘द एनर्जी एंड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट’ (टेरी) के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। समझौते के तहत, दिल्ली सरकार पूरे दिल्ली-एनसीआर में शैक्षणिक संस्थानों में लगभग 2,000 इको-क्लब में कार्यक्रम क्रियान्वित करने के लिए टेरी को 40 लाख रुपये देगी।

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पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा के नेतृत्व में शुरू की जा रही इस पहल का उद्देश्य स्कूलों और कॉलेजों के माध्यम से ‘‘पर्यावरण योद्धाओं’’ की एक पीढ़ी तैयार करना है, जो जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता संरक्षण पर जागरूकता और कार्रवाई को बढ़ावा देगी।

सिरसा ने कहा, ‘‘यह सिर्फ जागरुकता अभियान नहीं है, यह एक क्रांतिकारी व्यवहार परिवर्तन पहल है। इस अभियान के जरिए हम दिल्ली के लिए दो लाख ‘पर्यावरण योद्धा’ तैयार करेंगे। ये छात्र ‘पर्यावरण योद्धा’ दिल्ली और भारत के पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता को बढ़ावा देंगे और उसकी रक्षा करेंगे।’’

जून से नवंबर 2025 तक चलने वाले इस अभियान में कहानी सुनाना, पर्यावरण से जुड़ी गतिविधियां, खेल जैसी कई गतिविधियां और रचनात्मक संचार उपकरण शामिल होंगे। युवाओं में पर्यावरण संबंधी सोच को बढ़ावा देने के लिए तैयार किए गए इस अभियान के माध्यम से छात्रों के रोजमर्रा के जीवन में स्थिरता को शामिल करने का प्रयास किया जाएगा।

कार्यक्रम का एक प्रमुख घटक 80 ‘‘पर्यावरण संरक्षक’’ छात्रों और शिक्षकों को प्रशिक्षण देना है जो अपने संस्थानों में पर्यावरण-नेताओं के रूप में काम करेंगे। उन्हें क्षमता-निर्माण प्रशिक्षण मिलेगा और बदले में, वे दूसरों को सलाह देकर पहल को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे, जिससे जलवायु चेतना का प्रभाव बढ़ेगा।

भाषा मनीषा वैभव

वैभव


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