दिल्ली प्रदूषण : आगामी वर्ष में इसके स्थायी समाधान के लिए सरकार को उठाने होंगे प्रभावी कदम
दिल्ली प्रदूषण : आगामी वर्ष में इसके स्थायी समाधान के लिए सरकार को उठाने होंगे प्रभावी कदम
नयी दिल्ली, 29 दिसंबर (भाषा) आगामी वर्ष 2026 में दिल्ली सरकार के सामने वायु प्रदूषण की समस्या से निपटना सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक रहेगा।
सरकार ने हालांकि प्रदूषण से निपटने के लिए कई उपाय भी शुरू किए हैं, जिनमें क्लाउड-सीडिंग परीक्षण, एंटी-स्मॉग गन और मिस्ट स्प्रेयर की तैनाती शामिल है।
दिल्ली का वायु प्रदूषण सरकार के लिए एक चुनौती बना हुआ है, खासकर सर्दियों के महीनों में, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) अक्सर 300 के अंक को पार कर जाता है और कई दिनों तक ‘गंभीर’ श्रेणी में 400 से भी ऊपर पहुंच जाता है।
दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार ने प्रदूषण से निपटने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए हैं, जिनमें कानपुर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के सहयोग से एक पायलट क्लाउड-सीडिंग परियोजना भी शामिल है। राष्ट्रीय राजधानी में इस साल 20 फरवरी को भाजपा की सरकार बनी थी।
दिल्ली सरकार ने सात मई को 3.21 करोड़ रुपये की कुल लागत से पांच क्लाउड सीडिंग परीक्षण करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी और बाद में 25 सितंबर को परीक्षणों को पूरा करने के लिए आईआईटी-कानपुर के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
लेकिन, प्रतिकूल मौसम और मानसून की स्थिति के कारण अभ्यास को कई बार स्थगित करना पड़ा।
उन्होंने बताया कि 1957 और 1971-72 के बाद यह तीसरा प्रयास था, और लगभग 50 वर्षों के अंतराल के बाद 13 विभागों से मंजूरी मिलने के बाद अक्टूबर के अंत में नवीनतम क्लाउड-सीडिंग परीक्षण किए गए।
दिल्ली सरकार ने अक्टूबर में धुंध के मौसम से पहले, 2025-26 के लिए ‘शीतकालीन वायु प्रदूषण नियंत्रण कार्य योजना’ भी शुरू की।
यह कार्य योजना एक व्यापक 17-सूत्रीय ढांचा है, जिसका उद्देश्य धूल, वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन, निर्माण प्रदूषण, अपशिष्ट जलाने और औद्योगिक उत्सर्जन से निपटना है।
इस कार्य योजना के तहत, अधिकारियों ने राष्ट्रीय राजधानी में वायु में मौजूद धूल कणों को दबाने के लिए एंटी-स्मॉग गन और मिस्ट स्प्रेयर तैनात किए, जबकि जमीनी स्तर पर धूल नियंत्रण में सुधार के लिए मशीनीकृत सड़क स्वीपर और वाटर स्प्रिंकलर (पानी का छिड़काव करने वाली मशीन) को सेवा में लगाया गया।
अब तक दिल्ली की ऊंची इमारतों में 150 से अधिक एंटी-स्मॉग गन और 500 से अधिक छिड़काव प्रणालियां लगाई जा चुकी हैं, और ऐसी 2,500 इकाइयां स्थापित करने का लक्ष्य है।
इन उपायों के साथ-साथ प्रवर्तन अभियान भी चलाए गए, जिसमें अधिकारियों ने प्रदूषण संबंधी उल्लंघनों के लिए चालान जारी किए और सीमा चौकियों पर वाहनों की जांच बढ़ा दी।
दिल्ली सरकार ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) और दिल्ली छावनी सहित प्रमुख स्थानों पर छह नए वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्र स्थापित करने की योजना की भी घोषणा की है।
इसके अतिरिक्त, सरकार प्रदूषण के स्तर पर वास्तविक समय के आंकड़े प्राप्त करने के लिए यमुना नदी और शहर के प्रमुख नालों के किनारे 32 जल गुणवत्ता निगरानी केंद्र स्थापित करेगी।
सरकार ने दिल्ली के ओखला, भलस्वा और गाजीपुर स्थित तीन प्रमुख पुराने कचरा (डंपिंग यार्ड) स्थलों को साफ करने के लिए समयसीमा भी निर्धारित कर दी है। इन स्थलों का पूर्णतः सुधार करने और पुनः प्राप्त भूमि पर हरित क्षेत्र और वन विकसित करने की योजना है।
इसके अलावा, दिल्ली सरकार ने 41 वर्ग किलोमीटर के दक्षिणी रिज को ‘आरक्षित वन’ घोषित किया है, जिसका उद्देश्य शहर में हरित आवरण को काफी हद तक बढ़ाना और वायु गुणवत्ता में सुधार करना है।
भाषा रवि कांत रवि कांत नरेश
नरेश

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