नयी दिल्ली, 19 अक्टूबर (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के मामले में नौ आरोपियों के खिलाफ दंगा, आगजनी और अवैध रूप से घर में घुसने के आरोप तय किए हैं और कहा है कि इस स्तर पर सबूतों के ‘‘संभावित पहलुओं’’ पर विचार नहीं किया जाना चाहिए।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला आरोपी शाह आलम, राशिद सैफी, मोहम्मद शादाब, हबीब, इरफान, सुहैल, सलीम, इरशाद और अजहर के खिलाफ एक मामले की सुनवाई कर रहे थे। इन लोगों पर उस दंगाई भीड़ का हिस्सा होने का आरोप है, जो 24 फरवरी 2020 को दयालपुर में सात अलग-अलग घटनाओं में मारपीट, तोड़फोड़ और आगजनी में शामिल थी। ।
चश्मदीदों के बयानों पर गौर करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि एक भीड़ थी जिसने दिन में करीब 11 बजे से शाम पांच बजे तक कई संपत्तियों में तोड़फोड़ और आगजनी की और सभी आरोपी व्यक्तियों की पहचान इस भीड़ का हिस्सा होने के रूप में की गई।
न्यायाधीश ने कहा कि अभियोजन पक्ष के अनुसार, सात शिकायतकर्ताओं द्वारा रिपोर्ट की गई घटनाएं आसपास के क्षेत्र में हुईं। उन्होंने कहा कि दंगाइयों की पहचान के लिए सीसीटीवी फुटेज का इस्तेमाल किया गया।
मंगलवार को पारित एक आदेश में अदालत ने कहा, ‘‘इस प्रकार, यह स्पष्ट है कि ये सभी घटनाएं तब हुईं जब यह दंगाई भीड़ उग्र थी।’’
सबूतों की विश्वसनीयता के बारे में बचाव पक्ष की दलील को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि आरोप तय करने के चरण में सबूतों के ‘‘संभावित पहलुओं’’ पर विचार नहीं किया जाना चाहिए।
भाषा शफीक रंजन
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