दिल्ली दंगे: अदालत ने हैड कांस्टेबल हत्या मामले में व्यक्ति की जमानत अर्जी खारिज की

दिल्ली दंगे: अदालत ने हैड कांस्टेबल हत्या मामले में व्यक्ति की जमानत अर्जी खारिज की

दिल्ली दंगे: अदालत ने हैड कांस्टेबल हत्या मामले में व्यक्ति की जमानत अर्जी खारिज की
Modified Date: November 29, 2022 / 08:35 pm IST
Published Date: October 1, 2020 2:17 pm IST

नयी दिल्ली, एक अक्टूबर (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने उत्तर पूर्व दिल्ली में फरवरी में हुए दंगों के दौरान हैड कांस्टेबल रतनलाल की हत्या से संबंधित प्रकरण में एक व्यक्ति की जमानत अर्जी खारिज कर दी और कहा कि प्रथम दृष्टया सब कुछ एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत किया जा रहा था।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने मोहम्मद आरिफ की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा कि साजिश का साझा मकसद मुख्य वजीराबाद रोड को अवरुद्ध करना और पुलिस के रोकने पर बल प्रयोग करते हुए किसी भी हद तक जाने का था।

वीडियो कॉन्फ्रेंस से हुई सुनवाई में पुलिस की तरफ से पक्ष रख रहे विशेष सरकारी अभियोजक अमित प्रसाद ने दलील दी कि कथित चश्मदीद विशाल चौधरी के वीडियो में अपराध स्थल पर आरिफ की डिजिटल पहचान की गयी है।

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आरिफ की ओर से वकील महमूद प्राचा ने मौके पर डिजिटल पहचान पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा कि आरोपपत्र दाखिल किये जाने के बाद कानून में इसकी अनुमति नहीं है।

इस पर प्रसाद ने कहा कि मामले में कोई नयी सामग्री नहीं जोड़ी गयी है, बल्कि केवल प्रौद्योगिकी का उपयोग कर पहचान की प्रक्रिया बदली गयी है।

अदालत ने 30 सितंबर को जारी अपने आदेश में कहा था, ‘‘प्रथम दृष्टया मेरे विचार से आगे जांच करने के लिए जांच एजेंसी द्वारा तकनीकी साधनों के इस्तेमाल पर कोई पाबंदी नहीं है।’’

उसने कहा, ‘‘जीएनसीटी के कैमरे के सीसीटीवी फुटेज में 24 फरवरी, 2020 को दोपहर 12:06:35 बजे आवेदक (आरिफ) साफ दिखाई दे रहा है, जिसने सफेद कमीज और काली पतलून पहनी हुई है तथा उसके हाथों में एक लाठी है। वह सीसीटीवी कैमरे को नुकसान पहुंचाता भी दिख रहा है। वीडियो फुटेज में भी आवेदक की तस्वीर कैद हुई है।’’

अदालत ने कहा, ‘‘आवेदन के मोबाइल फोन नंबर की सीडीआर लोकेशन भी घटना वाले दिन अपराध स्थल पर होने का पता चला है। जांच में यह भी पता चला कि वह मामले में अन्य आरोपियों के साथ संपर्क में था।’’

अदालत ने कहा कि मामले में दर्ज अनेक गवाहों के बयानों से तथा संबंधित सीसीटीवी फुटेज देखकर प्रथम दृष्टया जाहिर है कि 24 फरवरी को सुबह करीब 11 बजे से एक तरह की गहमा-गहमी दिखाई दे रही है और एक विशेष समुदाय के सदस्यों को उत्तेजना में देखा जा सकता है।

इसमें कहा गया, ‘‘वे हाथों में हथियार लेकर बहुत आक्रामक तरीके से अपराध स्थल की ओर बढ़ रहे हैं। अनेक लोगों को भीड़ को उत्तेजना के साथ आवाज लगाते हुए देखा जा सकता है। यह भी दिखाई देता है कि वे एक भीड़ के रूप में एकत्रित हुए जो अपराध स्थल की ओर बढ़ी।’’

अदालत ने कहा, ‘‘गवाह विशाल चौधरी के वीडियो में बहुत भयानक दृश्य दिखाई देता है जिसमें दोपहर एक बजे के आसपास चांद बाग मजार से खजूरी चौक तक बड़ी संख्या में उपरोक्त भीड़ को देखा जा सकता है जहां वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और अन्य अफसर प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि वे मुख्य वजीराबाद रोड को अवरुद्ध नहीं कर सकें। इसके बाद भीड़ हिंसक हो गयी।’’

अदालत ने कहा कि साफ दिखाई दे रहा है कि लोगों के हाथों में पत्थर, डंडे, धारदार हथियार और अन्य तरह के हथियार हैं।

उसने कहा, ‘‘यहां तक कि बुर्का पहने हुए महिलाएं भी पुलिस दल पर लाठियों और अन्य चीजों से हमला करते देखी जा सकती हैं। इस सब से पहली नजर में लगता है कि सबकुछ एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत किया जा रहा था, जहां साझा मंशा मुख्य वजीराबाद रोड को अवरुद्ध करने की थी और यदि पुलिस द्वारा रोका जाए तो बल प्रयोग करते हुए किसी भी हद तक जाने की साजिश लग रही थी।’’

भाषा वैभव माधव

माधव


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